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Rare Earth Crisis: चीन ने भारतीय ऑटो पार्ट्स निर्माताओं को लाइसेंस देने के लिए हाथ बढ़ाया

Rare Earth Crisis: सोर्स से मिली जानकारी के अनुसार कम से कम 10 एप्लीकेशन पर चीन सहमति दे सकता है. इन सप्लायर्स को चीनी दूतावास से सपोर्ट मिला हुआ है
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:04 PM IST, 11 Jun 2025NDTV Profit हिंदी
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Rare Earth Crisis: चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स के आयात पर प्रतिबंध के बीच भारतीय ऑटो कॉम्‍पोनेंट मेकर्स को रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लिए लाइसेंस देने के लिए तैयार है, जबकि लोकल कार मेकर्स इसका स्टॉक रहने तक अपने प्रोडक्शन को बढ़ा रहे हैं. इस मामले के जानकारी रखने वाले लोगों ने NDTV Profit को ये बताया है.

जानकारों के अनुसार कम से कम 10 एप्लीकेशन पर चीन सहमति दे सकता है. इन सप्लायर्स को चीनी दूतावास से सपोर्ट मिला हुआ है, जो चीन की कॉमर्स मिस्ट्री से रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लाइसेंस लेने में मददगार साबित होगा. वहीं भारतीय दूतावास बीजिंग में लाइसेंस अप्रूवल के प्रोसेस में मदद कर रहा है.

मई में, सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने भारत के इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर के साथ बातचीत कर 30 से ज्यादा सप्लायर्स की सूची तैयार की, जिन्हें लाइसेंस की जरूरत है. सूची तैयार करने के बाद इसे सरकार को सौंप दिया गया है. सप्लायर्स में से ज्यादातर ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ रजिस्टर्ड हैं.

सूूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है. मंजूरी इस बात पर निर्भर करती है कि सप्लायर लोकल,नॉन मिलिट्री ऑपरेशन्स की शर्तों को पूरा करते हैं या नहीं.

क्या है मामला?

4 अप्रैल को, अमेरिका के भारी टैरिफ के जवाब में, चीन ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स की सप्लाई पर नए लाइसेंस जारी करने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि लाइसेंस केवल तभी जारी किया जाएगा जब कोई सप्लायर लोकल, नॉन मिलिट्री ऑपरेशन्स जैसी शर्तों को पूरा करता हो. वहीं इस लाइसेंस को लेने का प्रोसेस बहुत कठिन है और इसके लिए मंजूरी मिलने में 45 दिन तक लग सकते हैं.

चीन के इस कदम से जापान, भारत और यूरोप में वाहनों के प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा. जापान में, सुजुकी मोटर कंपनी लिमिटेड को स्विफ्ट हैचबैक का प्रोडक्शन अस्थायी रूप से रोकना पड़ा, क्योंकि एक मेन सप्लायर के पास रेयर अर्थ एलिमेंट्स खत्म हो गए थे. रेयर अर्थ एलिमेंट्स की कमी के साथ-साथ भारतीय वाहन निर्माताओं को भारत-चीन के बीच बढ़ते तनाव का भी सामना करना पड़ रहा है.

रेयर अर्थ एलिमेंट्स के बिना आधुनिक कार का निर्माण संभव नहीं. इन एलिमेंट्स से बने मैग्नेट का इस्तेमाल कार में मोटर के साथ किसी भी चीज में किया जाता है, खिड़कियां, शीशे और सीटों से लेकर तेल पंप सेंसर, एयर कंडीशनिंग और स्पीकर तक रेयर अर्थ एलिमेंट्स यूज होते हैं. चीन का इस एलिमेंट्स पर लगभग एकाधिकार है, जो वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ एलिमेंट्स का 90% से अधिक हिस्सा रखता है.

कैसी है तैयारी?

लोकल कार निर्माताओं ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स का स्टॉक खत्म होने तक प्रोडक्शन बढ़ा दिया है. NDTV प्रॉफिट से डीलरों ने कहा कि कार निर्माता तक सप्लाई में कमी होने की वजह से कार का प्रोडक्शन बढ़ाकर स्टॉक कर रहे हैं.

दिल्ली-NCR के एक डीलर ने NDTV प्रॉफिट को बताया, 'प्रोडक्शन बढ़ाने में कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि एवरेज कैपेसिटी यूटिलाइजेशन 75% या उससे ज्यादा है. जो समस्या बन सकती है वो है इन्वेंट्री का लेवल, जो पहले से ही 50-55 दिनों का है. अगर जुलाई या अगस्त में वाहन बनाने में मुश्किल आती है तो स्टॉक सितंबर में त्योहारी सीजन की शुरुआत तक ही चल पाएगा.'

हालांकि भारत की बड़ी वाहन निर्माता कंपनियों ने संकेत दिए हैं कि इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

मंगलवार को टोयोटा किर्लोस्कर मोटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने प्रोडक्शन जारी रखने का विश्वास दिया है. टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड ने कहा है कि असर ना के बराबर होगा. हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के पास रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार है जो एक साल तक चल सकता है. लेकिन मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड पर कुछ असर पड़ सकता है.

रॉयटर्स के अनुसार, भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने रेयर अर्थ एलिमेंट्स की कमी की वजह से अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा के प्रोडक्शन में दो-तिहाई की कटौती की है. कंपनी अब अप्रैल से सितंबर के बीच 8,200 ई-विटारा बनाने की योजना बना रही है, जबकि टारगेट 26,500 का था.

इंडिपेंडेंट ऑटो सेक्टर एक्सपरेट और भारत में निसान मोटर कॉर्प के फॉर्मर MD अरुण मल्होत्रा ​​ने NDTV प्रॉफिट को फोन पर बताया, 'रेयर अर्थ एलिमेंट्स की कमी एक चेतावनी है, न कि कोई ऑपरेशनल चुनौती. भारत को अब चीन के ऊपर से अपनी निर्भरता को कम और और लोकलाइजेशन को बढ़ावा देने की जरूरत है, जैसा कि हमने महामारी के दौरान सेमीकंडक्टर संकट के बाद किया था.

वोकल फॉर लोकल

सोर्स से मिली जानकारी के अनुसार हैवी इंडस्ट्री मिनिस्ट्री रेयर अर्थ एलिमेंट्स के डोमेस्टिक प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने के लिए एक नीति पर काम कर रहा है. PLI स्कीम की मदद से इंपोर्ट के साथ कॉस्ट को कम करने और लोकल मांग को बढ़ावा देने पर काम किया जा सकता है.

रॉयटर्स के अनुसार, रेयर अर्थ एलिमेंट्स के लिए ऐसी PLI स्कीम अभी नहीं बनी हैं. सरकार अगले हफ्ते इंडस्ट्री के अधिकारियों के साथ मिलकर प्लान को फाइनल कर सकती है. लेकिन अगर सरकार इस प्रोसेस को तेज भी कर दे, तो भी भारत में रेयर अर्थ एलिमेंट्स की सप्लाई चेन बनाने में कई साल लग जाएंगे.

US ज्योग्राफिकल सर्वे के अनुसार, भारत में 6.9 मिलियन टन के साथ दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा रेयर अर्थ एलिमेंट्स भंडार है, लेकिन इसके लिए कोई भी रिसर्च काम नहीं हो रहा है. स्थानीय प्रसंस्करण और शोधन कार्य नगण्य है. सिर्फ एक पब्लिक सेक्टर की IREAL (इंडिया) लिमिटेड, 3 रेयर अर्थ एलिमेंट्स का प्रोडक्शन कर रही है, लेकिन उनका कोई भी लोकल ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उपयोग नहीं करता है.

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