बहुत जल्द आप टेस्ला की ड्राइविंग सीट पर होंगे, एलन मस्क की ये इलेक्ट्रिक कार भारत में एंट्री करने की तैयारी कर रही है. दरअसल, टेस्ला ने भारत में हायरिंग करनी शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते अपने अमेरिका दौरे में एलन मस्क से मुलाकात की थी, उसके बाद ये खबर आई है, जो इस बात की पुष्टि करती है कि मस्क टेस्ला को भारत की सड़कों पर लॉन्च करने के लिए तैयार हैं.
टेस्ला ने अपने लिंक्डइन पेज पर सोमवार को विज्ञापन दिए हैं, जिसके मुताबिक इलेक्ट्रिक कारें बनाने वाली कंपनी टेस्ला कस्टमर फेसिंग और बैक एंड जॉब्स समेत 13 भूमिकाओं के लिए कैंडीडेट्स की तलाश शुरू कर दी है.
सर्विस टेक्नीशियन और कई अलग-अलग एडवाइजरी रोल्स सहित कम से कम पांच पोजीशन मुंबई और दिल्ली दोनों में उपलब्ध हैं, जबकि कस्टमर एंगेजमेंट मैनेजर और डिलीवरी ऑपरेशंस स्पेशलिस्ट जैसे बाकी पद मुंबई के लिए हैं.
टेस्ला और भारत के बीच वर्षों से बातचीत चल रही है, लेकिन गाड़ी ऊंची इंपोर्ट ड्यूटी पर आकर फंस जाती है, जिसकी वजह से टेस्ला भारत में अबतक एंट्री नहीं ले पाई. हालांकि भारत ने अब 40,000 डॉलर से ज्यादा कीमत वाली हाई-एंड कारों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को 110% से घटाकर 70% कर दिया है.
टेस्ला की कारों की बिक्री बीते कई महीनों से खराब स्थिति में है. कंपनी ने बीते एक दशक में पहली बार बिक्री में सालाना गिरावट दर्ज की है. चीन के मुकाबले भारत का इलेक्ट्रिक कार मार्केट अभी बहुत छोटा है, इसलिए टेस्ला के पास अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए भारत के रूप में एक संभावना सामने है. पिछले साल भारत ने केवल 1 लाख इलेक्ट्रिक कारें बेची थीं, जबकि चीन में इस दौरान इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 1.1 करोड़ यूनिट रही थी.
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र से राष्ट्रपति ट्रंप और एलन मस्क की मुलाकात हुई थी. इसी मुलाकात के दौरान मस्क ने भारत आने की अपनी मंशा जाहिर की थी. ट्रंप ने बाद में कहा कि PM मोदी अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने के लिए बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए. वो अमेरिका से ज्यादा सामान खरीदेंगे, जिसमें F-35 लड़ाकू जेट की सप्लाई भी भी शामिल है.
पिछले साल मार्च में भारत सरकार ने अपनी नई EV पॉलिसी का भी ऐलान किया था, ये पॉलिसी उन कंपनियों के लिए है भारत में आकर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाना चाहती हैं, कुछ नियम शर्तें तय की है और कुछ शर्तों में रियायत भी दी है.
जो भी कंपनी भारत में आकर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाना चाहती है, उसे 4,150 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवेश करना होगा, अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं रखी गई है. साथ ही ऑटो कंपनियों को 3 साल के भीतर प्लांट लगाकर इलेक्ट्रिक व्हीकल का उत्पादन शुरू करना होगा.
कंपनियों को 5 साल के अंदर डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (DVA) को 50% तक पहुंचाना होगा, यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में लोकल सोर्सिंग को बढ़ाना होगा. तीसरे साल में लोकल सोर्सिंग को 25% और 5 साल में 50% करना होगा.
टेस्ला भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारें बेचना चाहती है, लेकिन बात पॉलिसी को लेकर अटकी हुई है. पॉलिसी में बदलाव के बाद से उम्मीद की जा रही है कि इस नई पॉलिसी से टेस्ला के लिए भारत आकर प्लांट लगाना अब आसान होगा. क्योंकि सरकार अपनी पॉलिसी में बदलाव करते हुए 35,000 डॉलर CIF (कॉस्ट, इंश्योरेंस और फ्रेट) वैल्यू वाली CKD (Completely Knockdown) यूनिट, मोटे तौर पर समझें कि पूरी बनी बनाई कार, जिसे इंपोर्ट करने पर 15% की कस्टम ड्यूटी देनी होगी, जो कि पहले 100% थी. यानी टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों को लाकर बेचने का रास्ता खुलेगा.
टेस्ला भारत में अपनी गाड़ियां बेचना चाहता है, तो उसकी इजाजत उसे होगी, लेकिन शर्त ये है कि उसे भारत में अपना प्लांट भी लगाना होगा और DVA की शर्तों का पालन भी करना होगा. तभी उसे अपनी कारों को भारत लाकर बेचने पर ड्यूटी में छूट मिलेगी.