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लोन की किस्‍त भरने में हुई देरी, तो बैंक नहीं लगा सकेंगे मनमानी पेनल्टी, 'पीनल चार्ज' पर RBI ने जारी की नई गाइडलाइंस

सभी बैंक अपने हिसाब से Penal Interest निर्धारित करते हैं और ये लोन के आकार-प्रकार पर निर्भर करता है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी11:03 AM IST, 18 Aug 2023NDTV Profit हिंदी
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आपने होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन लिया हो या फिर अन्‍य किसी तरह का लोन. कई बार पैसों की कमी या तारीख याद न रहने या फिर अन्‍य वजहों से लोन की किस्‍त (EMI) भरने में देरी हो जाती है. बैंकों की ओर से इस पर दंडात्मक ब्याज (Penal Interest) लिया जाता है और जुर्माने की राशि पर ब्‍याज भी. कई बार लोन कस्टमर को ये पता भी नहीं होता है कि पीनल इंटरेस्ट क्यों वसूला जा रहा है.

इन सब बातों पर विचार-विमर्श करने और बैंकों के पेनल्टी वसूलने के तौर तरीकों को देखने के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नई गाइडलाइंस जारी की हैं.

RBI ने कहा है कि बैंक, NFBC या अन्‍य कर्जदाता लोन अकाउंट्स के नॉन-कंप्‍लायंस पर दंडात्‍मक ब्‍याज (Penal Interest) नहीं ले सकते. RBI ने अपने सर्कुलर में कहा है कि ऐसे जुर्मानों पर कोई ब्‍याज नहीं लिया जाएगा. रिजर्व बैंक ने हिदायत दी है कि बैंक पीनल इंटरेस्ट को ब्याज से कमाई का जरिया न बनाएं.

रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर में बैंकों के लिए लोन अकाउंट में नॉन कंप्लायंस और पेनल्टी को लेकर नियम तय किए हैं.

RBI ने सर्कुलर में क्‍या कहा है?

  1. अगर किसी लोन अकाउंट पर पेनल्टी चार्ज की गई है, तो ये पीनल चार्ज (Penal Charge) के रूप में होनी चाहिए, इसे पीनल इंटरेस्ट (Penal Interest) के रूप में नहीं होना चाहिए, जो कि लोन के रेट ऑफ इंटरेस्ट में जाकर जुड़ जाता है.

  2. बैंक और कर्जदाता संस्‍थाओं को ब्‍याज पर लगाए गए किसी भी अतिरिक्‍त कॉम्‍पोनेंट पेश करने की अनुमति नहीं है.

  3. रेगुलर एंटिटीज को पीनल चार्ज या लोन पर समान शुल्क, चाहे उसे किसी भी नाम से जाना जाए, इस पर एक बोर्ड मंजूर नीति तैयार करनी होगी.

  4. पीनल चार्ज कितना लगाया जा रहा है, वो वाजिब होना चाहिए और लोन अकाउंट के नॉन-कंप्लायंस के अनुरूप होना चाहिए, बैंक किसी विशेष लोन/प्रोडक्ट कैटेगरी में भेदभाव नहीं कर सकते

  5. RBI ने कहा है कि इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्‍टी, नॉन-इंडिविजुअल कर्जदारों पर लगाई गई पेनल्‍टी से अधिक नहीं हो सकती.

  6. पीनल चार्ज की मात्रा और उसको लगाने की वजह, लोन एग्रीमेंट में बैंकों को ये साफ तौर पर कस्टमर्स को बताना होगा, इसके अलावा ब्याज दरों और सर्विस के तहत बैंकों की वेबसाइट पर भी दिखाया जाएगा

  7. नॉन-कंप्‍लायंस के संबंध में ग्राहकों को भेजे गए किसी भी रिमाइंडर में 'पेनल्‍टी' का उल्‍लेख करना जरूरी होगा.

  8. ये निर्देश 1 जनवरी 2024 से लागू होंगे, बैंक अपने नीति ढांचे में जरूरी बदलाव कर सकते हैं और प्रभावी तिथि से लिए गए/रीन्यू किए गए सभी नए लोन के संबंध में निर्देशों को लागू कर सकते हैं

आम लोगों को कैसी राहत मिलेगी?

गुड़गांव स्थित जिंदल ग्रुप की एक फर्म में ACFO के तौर पर कार्यरत CA अमित कुमार ने BQ Prime हिंदी से बातचीत के दौरान इसके बारे में समझाया. उन्‍होंने कहा, 'पीनल इंटरेस्‍ट, लोन के आकार-प्रकार पर निर्भर करता है और सभी बैंक अपने हिसाब से ये निर्धारित करते हैं. लोन पेमेंट के दौरान पेनल इंटरेस्ट को लेकर ग्राहक और बैंकों के बीच करार होता है. इसका कैलकुलेशन सालाना आधार पर किया जाता है.'

मान लीजिए पीनल इंटरेस्ट 24% सालाना है और अगर 50,000 रुपये की मासिक किस्त (EMI) का भुगतान नहीं हो पाया तो इस हिसाब से एक महीने का जुर्माना 2% होगा. यानी 50,000 रुपये के हिसाब से जुर्माना लगेगा 1,000 रुपये का. RBI के सर्कुलर के अनुसार, ग्राहकों को इस पीनल इंटरेस्‍ट से राहत मिलेगी. बैंकों को पेनल इंटरेस्‍ट वसूलने की अनुमति नहीं होगी.
अमित कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट और वित्तीय सलाहकार

1 जनवरी से लागू होंगे नियम

RBI के सर्कुलर में दर्ज नए नियम 1 जनवरी, 2024 से लागू होंगे. हालांकि क्रेडिट कार्ड, एक्‍सटर्नल कमर्शियल लोन, ट्रेड क्रेडिट जैसे कर्ज और दायित्‍वों पर ये ये नॉर्म्‍स लागू नहीं होंगे. RBI लंबे समय से इस संबंध में नियम लागू करने वाला था. फरवरी में हुई मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग के बाद RBI ने ये घोषणा की थी कि इस संबंध में गाइडलाइंस जारी की जाएगी.

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