बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के उस मास्टर सर्कुलर पर अंतरिम रोक लगा दी, जो बैंकों को किसी भी खाते को बिना सुनवाई के 'फ्रॉड अकाउंट' घोषित करने की अनुमति देता है. मामले पर अगली सुनवाई सितंबर में होगी. तब तक कोर्ट का ये अंतरिम आदेश लागू रहेगा.
जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई करते हुए 2016 में जारी RBI के सर्कुलर पर फिलहाल 11 सितंबर तक के लिए रोक लगा दी है.
RBI के सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 7 और 8 सितंबर को हाई कोर्ट सुनवाई करेगी. इन याचिकाओं में जेट एयरवेज के पूर्व प्रमोटर्स नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल की ओर से दायर की गईं 2 याचिकाएं भी शामिल हैं.
केंद्रीय बैंक के सर्कुलर के अनुसार, एक बार जब कोई बैंक किसी खाते को 'फ्रॉड अकाउंट' के रूप में घोषित करता है तो उस बैंक की ये जिम्मेदारी होती है कि वो अन्य बैंकों को सतर्क करने के लिए CRILIC (Central Repository of Information on Large Credits) को रिपोर्ट करे.
यदि कोई बैंक, किसी खाते को तुरंत 'फ्रॉड अकाउंट' के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला लेता है तो इसकी जानकारी 21 दिनों के भीतर RBI को देनी होती है साथ ही किसी भी जांच एजेंसी को मामले की रिपोर्ट करने के लिए कहना होता है.
इन याचिकाओं में RBI के सर्कुलर को 'प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत' (Principle of Natural Justice) के खिलाफ बताया गया है, क्योंकि कर्ज लेने वालों के अकाउंट्स को 'फ्रॉड अकाउंट' के रूप में क्लासीफाइड करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया.
याचिकाओं में दावा किया गया कि वास्तव में, बैंक न तो कर्ज लेने वालों को सुनवाई का अवसर दे रहे हैं और न ही उन्हें वे डॉक्यूमेंट्स दिखाए गए, जिनके आधार पर बैंक ने उन पर कार्रवाई की.
सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सभी याचिकाकर्ताओं की याचिकाएं स्वीकार कर ली और सितंबर में सुनवाई करने का भरोसा दिया. हाईकोर्ट 7 और 8 सितंबर को मामले की सुनवाई करेगी. तब तक के लिए RBI के सर्कुलर पर रोक रहेगी.