अनसिक्योर्ड कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेट बढ़ाने का रिजर्व बैंक का फैसला क्रेडिट पॉजिटिव है, क्योंकि बैंकों को ज्यादा पूंजी आवंटित करने की जरूरत होगी. ये कहना है मूडीज इन्वेस्टर्स का.
मूडीज का कहना है कि ये आवंटन बैंकों के नुकसान पचाने वाले बफर को बढ़ा देगा और इससे उनकी ग्रोथ की भूख धीमी हो सकती है.
16 नवंबर को रिजर्व बैंक ने लोन के नियमों को और सख्त करने के लिए कमर्शियल बैंकों और NBFCs के कंज्यूमर क्रेडिट एक्सपोजर का रिस्क वेट 25 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया था, हालांकि इसमें होम लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन, माइक्रोफाइनेंस लोन और गोल्ड लोन शामिल नहीं है. इस पर क्रेडिट रिस्क को 100% से बढ़ाकर 125% कर दिया गया है.
मूडीज का करना है कि फिनटेक कंपनियों और NBFCs के तेजी से उबरने से अनसिक्योर्ड लेंडिंग सेगमेंट में होड़ काफी बढ़ चुकी है. बीते दो वर्षों में पर्सनल लोन 24% की रफ्तार से बढ़ा है, जबकि क्रेडिट कार्ड की ग्रोथ औसतन 28% रही है, इसकी तुलना अगर बैंकिंग सेक्टर के कुल क्रेडिट ग्रोथ से की जाए तो ये 15% के करीब रही है. मूडीज के मुताबिक इसलिए नए नियमों का असर बैंकों पर अलग अलग होगा, जो कि अनसिक्योर्ड लोन पर उनके एक्सपोजर पर निर्भर करेगा.
मूडीज ने कहा, चूंकि फिनटेक लोन की शुरुआत और कलेक्शन मॉडल्स बड़े पैमाने पर आजमाइश से दूर हैं, इसलिए ये कदम NBFCs और बैंकों की एसेट क्वालिटी की अस्थिरता को उजागर कर सकता है. हालांकि मूडीज को उम्मीद है कि बैंक इस रिस्क वेट को पचा लेंगे क्योंकि सितंबर 2023 तक अनसिक्योर्ड रिटेल लोन पर कुल बैंकिंग सेक्टर का एक्सपोजर करीब 10% है.
नई गाइडलाइंस ने NBFCs में बैंकों के एक्सपोजर पर रिस्क वेट को भी 25 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया है. इस पर मूडीज का अनुमान है कि तनाव धीमा होगा, क्योंकि ये हाउसिंग फाइनेंस और कृषि जैसे प्रोयोरिटी सेक्टर के लिए दिए गए लोन पर लागू नहीं होगा.