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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के बंद होने पर क्या ग्राहक की FD और सेविंग्स रहेंगी सुरक्षित? जानें क्या कहते हैं नियम

भारत में 60 के दशक में शुरू हई थी बैंकों के डूबने की स्थिति में ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा.
NDTV Profit हिंदीवैभव शर्मा
NDTV Profit हिंदी01:38 PM IST, 15 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
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न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला मामले में बड़ी खबर आई है. इस मामले में अब मुंबई पुलिस की EOW ने जांच तेज कर दी है. EOW ने बैंक के जनरल मैनेजर और हेड ऑफ अकाउंटेंट और मामले के आरोपी हितेश प्रवीणचंद मेहता को गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि पूर्व महाप्रबंधक हितेश प्रवीणचंद मेहता ने बैंक से कथित रूप से 122 करोड़ रुपये निकाले हैं.

लेकिन अब सवाल उन लोगों का है जिनकी जिंदगीभर की कमाई बैंक में जमा है. जब भी कोई बैंक डूबता है या कंगाल होता है तो ग्राहकों के मन में पहला सवाल और चिंता यही होती है की उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई का क्या होगा और कब तक उन्हें ये वापस मिल पाएगी.

बीते दिन ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर बड़ी कार्रवाई की है. RBI ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई को सभी ऑपरेशंस को रोकने के लिए नोटिस जारी किया है. हालांकि बैंक का लाइसेंस कैंसिल नहीं किया गया है. इस खबर के फैलते ही बैंक के मीरा रोड ब्रांच समेत कई शाखाओं के बाहर लोगों की भीड़ देखी गई.

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की खराब वित्तीय हालात को देखते हुए RBI ने इस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं. अब ग्राहक अपने सेविंग अकाउंट, करेंट अकाउंट या किसी भी तरह के खाते से पैसे नहीं निकाल सकेंगे. ये कार्रवाई गुरुवार, 13 फरवरी 2025 से अगले 6 महीनों तक लागू रहेगी.

ऐसे में ग्राहकों के मन में कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे बड़ा सवाल कि क्‍या बैंक डूब गया, तो क्‍या उनका पैसा भी डूब जाएगा?  सभी के मन में अपने पैसे वापस पाने की ललक दिख रही है.

बैंक पर क्या प्रतिबंध लगाए गए हैं?

  • बैंक अब नए लोन जारी नहीं कर पाएगा और पुराने लोन को रिन्यू भी नहीं कर सकता.

  • ग्राहक अब इस बैंक में नया फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या कोई और डिपॉजिट स्कीम नहीं खोल पाएंगे.

  • बैंक किसी तरह का नया निवेश नहीं कर सकता और किसी को कोई भुगतान भी नहीं कर पाएगा.

  • बैंक अपनी संपत्तियां बेचकर पैसे जुटाने का भी कोई फैसला नहीं ले सकता.

बैंक कंगाल होने पर नियम क्या कहता है?

भारत में 1960 के दशक के बाद से ही डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) जो रिजर्व बैंक के अधीन है बैंकों के डूबने की स्थिति में ग्राहकों के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा देता है.

नियम के तहत ग्राहकों की जमा राशि पर ये इंश्योरेंस कवर मिलता है. पहले ये कवर एक लाख रुपये का था, जिसमें मोदी सरकार ने बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक कर दिया है. उदाहरण के लिए अगर आपके जमा खाते में 10 लाख रुपये हैं तो आपको DICGC के इंश्योरेंस कवर से 5 लाख रूपये मिल जाएंगे. जिसके लिए आपको आवेदन करना होगा. ये पैसा ग्राहकों को क्‍लेम करने के बाद 90 दिनों के भीतर मिल जाता है. 

बाकी बचे 5 लाख रुपये के लिए आपको इंतजार करना पड़ेगा कि बैंक की स्थिति में सुधार हो या कोई समाधान निकले, लेकिन ये भी मुमकिन है कि आपको DICGC के इंश्योरेंस कवर से 5 लाख रूपये के अलावा कुछ और न मिले.

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