RBI Annual Report: देश में जिस रफ्तार से बैंकिंग/फाइनेंशियल सिस्टम में टेक्नोलॉजी का दखल बढ़ा है, इसने सहूलियत के साथ साथ नई मुश्किलें भी खड़ी की है. ये बात रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट से जाहिर होती है, जिसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2024 में जितने भी बैंकिंग धोखाथड़ी के मामले हुए, उसमें 80.6% फ्रॉड डिजिटल पेमेंट्स और कार्ड/इंटरनेट ट्रांजैक्शन की कैटेगरी में हुए हैं.
रिजर्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया है कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान ऐसे फ्रॉड की संख्या सालाना आधार पर चार गुना से ज्यादा बढ़कर 29,082 हो गई है. हालांकि गनीमत ये रही है कि इन फ्रॉड्स की संख्या ज्यादा होने के बावजूद इसमें शामिल रकम काफी कम थी, जो कि 1,457 करोड़ रुपये है.
दूसरे नंबर पर एडवांसेज (लोन/क्रेडिट फैसिलिटी) से जुड़े फ्रॉड हैं, जिनकी संख्या 4,133 थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इन फ्रॉड्स में शामिल कुल रकम 13,930 करोड़ रुपये थी, जिसमें एडवांसेज का हिस्सा 11,772 करोड़ रुपये था, यानी 84.5% फ्रॉड सिर्फ एडवांसेज में हुए हैं.
अब आते हैं बैंकों पर, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने FY24 के दौरान सबसे ज्यादा फ्रॉड रिपोर्ट किए हैं, जिनका संख्या 24,210 बताई गई है. जो कि FY24 में हुए कुल फ्रॉड्स का 67.1% हिस्सा हैं. इसके बाद आता है सरकारी बैंकों का नंबर, जिन्होंने कुल फ्रॉड में से 20.7% को रिपोर्ट किया है. लोन पोर्टफोलियो में सबसे ज्यादा फ्रॉड हुआ है. 8.1% फ्रॉड विदेशी बैंकों में दर्ज किए गए हैं.
भले ही फ्रॉड के सबसे ज्यादा मामले प्राइवेट सेक्टर बैंकों में मिले हों, लेकिन जब फ्रॉड की वैल्यू की बात आती है, तो सरकार बैंक आगे नजर आते हैं. प्राइवेट सेक्टर बैंकों में फ्रॉड की कुल रकम जहां 3,170 करोड़ रुपये थी, तो सरकारी बैंकों में ये 10,507 करोड़ रुपये थी.
रिजर्व बैंक ने फ्रॉड के पुराने मामलों को लेकर भी एक महत्वपूर्ण बात का जिक्र किया है. FY2023 और FY2024 के दौरान रिपोर्ट की गई रिपोर्ट में फ्रॉड की घटना और उसका पता लगाने की तारीख में एक बड़ा टाइम गैप देखने को मिला है.
मसलन, पिछले वित्तीय वर्षों में फ्रॉड में शामिल रकम FY23 में रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी का 94% थी, जबकि, मूल्य के हिसाब से FY24 में रिपोर्ट की गई 89.2% धोखाधड़ी पिछले वित्तीय वर्षों में हुई थी.