रिजर्व बैंक (RBI) ने छोटे कर्जदारों और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) के लिए लोन के नियमों में ढील दे दी है. रिजर्व बैंक ने NBFCs को लोन देने वाले बैंकों के लिए रिस्क वेटेज को घटा दिया है. RBI ने रिस्क वेटेज को 125% से घटाकर 100% कर दिया है.
RBI ने नवंबर, 2023 में कंज्यूमर क्रेडिट जिसमें पर्सनल लोन और NBFCs को बैंक क्रेडिट भी शामिल है, 100% से बढ़ाकर 125% कर दिया था. जिसे अब सेंटल बैंक ने वापस 100% पर ला दिया है. ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि पर्सनल लोन में बेहताशा बढ़ोतरी देखने को मिल रही थी.
हालांकि इसमें कुछ कैटेगरीज को बाहर रखा गया था, जैसे हाउसिंग लोन, जिन पर ऊंची पूंजी जरूरतों की शर्तें नहीं लागू की गईं थी. नया रिस्क वेटेज 1 अप्रैल, 2025 से लागू हो जाएगा. तब NBFCs को बैंक लोन काफी धीमा हो गया था क्योंकि रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सिस्टम में एक दूसरे से आपसी जुड़ाव से बढ़ते जोखिम के बीच NBFCs को अपनी उधारी में विविधता लाने के लिए कहा था.
NBFCs के लिए बैंक लोन में रिस्क वेटेज में RBI की इस ढील का फायदा इंडसइंड बैंक और बंधन बैंक को होने जा रहा है, क्योंकि इन दोनों बैंकों का माइक्रोफाइनेंस एक्सपोजर काफी ज्यादा है.
एनालिस्ट्स का कहना है कि रिजर्व बैंक की ढील ज्यादा अकोमोडेटिव रेगुलेटरी रुख का संकेत है, जो फाइनेंशियल सेक्टर के लिए बहुत ही पॉजिटिव होगा. एनालिस्ट्स ने बताया कि अनसिक्योर्ड लोन ग्रोथ में 25% से 10% की कमी एक कूलिंग ट्रेंड की ओर इशारा करती है. अनुमान है कि रिजर्व बैंक अंत में इन लोन पर RWA (Risk-weighted assets) को भी कम कर देगा.
मैक्वेरी के मुताबिक, बैंकों के कॉमन इक्विटी टियर 1 या CET1 रेश्यो पर 20-250 बेसिस प्वाइंट का पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है. CET1 बैंक की लिक्विडिटी और वित्तीय संकट आने पर उससे बचने की क्षमता को मापने के लिए एक स्ट्रेस टेस्ट होता है. अब बंधन बैंक के लिए, CET1 13.8% से 2.5% अंक बढ़कर 16.3% हो जाएगा. इंडसइंड बैंक के लिए ये रेश्यो 15.2% से बढ़कर 15.8% हो जाएगा.
बैंक NBFCs के लिए करीब 50% फंड जरूरतों को पूरा करते हैं, जिसमें डेट पेपर्स का सब्सक्रिप्शन भी शामिल है. मैक्वेरी ने कहा, NBFC को बैंक लोन के लिए रिस्क वेटेड असेट्स (RWA) में छूट से क्रेडिट फ्लो में आसानी होगी, अब उन्हें अच्छी रेटिंग वाले NBFCs के लिए सेलेक्टिव बेसिस पर ब्याज दरों में कुछ कटौती की उम्मीद है.
CLSA ने कहा कि रिजर्व बैंक का ये कदम MFIs में तुरंत रिकवरी के लिए निवेशकों का विश्वास बढ़ाएगा. CLSA ने हाल ही में बंधन बैंक के शेयर पर अपग्रेड दिया है. इसमें बजाज फाइनेंस और SBI कार्ड्स जैसी AAA-रेटेड NBFCs को भी उनकी उधार लागत पर RWA में बदलाव से फायदा मिलेगा.
मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, मीडियम साइज के निजी बैंकों और PSU बैंकों को ज्यादा फायदा मिल सकता है क्योंकि उनका MFIs और NBFC सेगमेंट में ज्यादा निवेश है. एक नोट में कहा गया है, बड़े निजी बैंकों के लिए, एक्सपोजर उसके मुकाबले कम है और उनका CET1 रेश्यो शुरुआत करने के लिए बहुत ज्यादा है.