रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की ओर से ग्राहकों को दिए जा रहे सतत क्रेडिट लाइंस (perpetual lines of credit) को लेकर चिंता जताई है. मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने NDTV प्रॉफिट को ये बताया है. ग्राहकों को ऐसे प्रोडक्ट्स में बिना किसी तय रीपेमेंट शेड्यूल के क्रेडिट लाइन का फायदा उठाने की सुविधा मिलती है.
इसमें उधारकर्ताओं के लिए एक लोन विंडो होती है, जिसमें वो लेंडर से एक तय सीमा के भीतर जितना चाहे उधार ले सकते हैं. ये उधारकर्ता अपना बकाये को आंशिक या पूर्ण रूप से चुका सकते हैं, जब भी उनके पास ऐसा करने के लिए कैश उपलब्ध हो. वो जब तक चाहें तब तक ब्याज बकाया का भुगतान करना जारी रख सकते हैं, वो भी खाते को NPA हुए बिना.
अब यहां दिक्कत ये है कि उधारकर्ता अपने पास उपलब्ध क्रेडिट लाइनों में से और अधिक निकालकर और पिछले बकाए का भुगतान कर सकता है. मामले की जानकारी रखने वाले इन लोगों ने बताया कि रिजर्व बैंक को लगता है कि इस तरह की परपेचुअल क्रेडिट लाइंस ऐसे व्यवहार को बढ़ावा दे सकती हैं, जिसे कर्जों की एवरग्रीनिंग के रूप में क्सालिफाई किया जा सकता है.
इस प्रकार से ये बैंकों की ओर से दिए जाने वाले कैश क्रेडिट लोन की तरह दिखते हैं, जिन्हें देने के लिए NBFC को लाइसेंस हासिल नहीं है. ऐसे लोन लेने वालों की रेंज काफी बड़ी है. ये उधारकर्ता सैलरीड व्यक्ति, कोई छोटा मोटा बिजनेस करने वाला या अपना कुछ काम करने वाले छोटे उधारकर्ता हो सकते हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स अखबार ने सबसे पहले खबर दी थी कि RBI ने इस तरह की चिंता जताई है. अखबार के मुताबिक, NBFC ने ऐसे कर्जदारों को 50,000-60,000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है. रिजर्व बैंक ने पहले भी फिनटेक की ओर से दिए जाने वाले रोलओवर क्रेडिट प्रोडक्ट्स को लेकर चिंता जताई थी.
2022 में, RBI ने फिनटेक की ओर से प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट जारी करने पर रोक लगा दी थी, जिसे क्रेडिट कार्ड के विकल्प के रूप में बेचा जा रहा था. यहां भी, कार्ड को एक क्रेडिट लाइन से सपोर्ट किया गया था जिसे उधारकर्ता की ओर से लिए गए क्रेडिट पर ब्याज का भुगतान करके रोलओवर किया जा सकता था. ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार क्रेडिट लाइन का रीपेमेंट कर सकते थे.