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आखिर RBI ने अनसिक्योर्ड लोन पर क्यों बढ़ाई पहरेदारी? सेंट्रल बैंक ने बताई ये वजह

भले ही भुगतान में लेटलतीफी की प्रवृत्ति में कमी आई हो, लेकिन कंज्यूमर क्रेडिट सेगमेंट में जोखिम बढ़ने के संकेत हैं. RBI ने ऐसे ही कुछ संकेतों का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:38 PM IST, 28 Dec 2023NDTV Profit हिंदी
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RBI ने गुरुवार को बताया कि उसने अनसिक्योर्ड रिटेल क्रेडिट के खिलाफ सावधानी भरा रवैया क्यों अपना रखा है.

अपनी अर्धवार्षिक 'फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट' में RBI ने बताया है कि इंक्रीमेंटल क्रेडिट की क्वालिटी बेहतर हुई है. जबकि कम रेटिंग वाले कर्जदारों की संख्या में ओवरऑल इंडस्ट्री लेवल के साथ-साथ बैंक ग्रुप लेवल पर कमी आई है.

इसी तरह पोर्टफोलियो परफॉरमेंस में भी सुधार जारी है. अलग-अलग तरह के तमाम लेंडर्स ग्रुप की पेमेंट में होने वाली लेट-लतीफी की प्रवृत्ति में कमी आई है.

भले ही भुगतान में लेटलतीफी की प्रवृत्ति में कमी आई हो, लेकिन कंज्यूमर क्रेडिट सेगमेंट में जोखिम बढ़ने के संकेत हैं. RBI ने ऐसे ही कुछ संकेतों का अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है.

  • पर्सनल और कंज्यूमर लोन्स की रिस्क प्रोफाइल में अपग्रेड की तुलना में डाउनग्रेड का ट्रेंड ज्यादा दिखाई दे रहे हैं.

  • तुलनात्मक तौर पर पर्सनल लोन कैटेगरी में High Vintage Delinquency अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड के कमजोर होने का संकेत देती है. High Vintage Delinquency ऐसे लोन की कुल हिस्सेदारी होती है, जिनमें जारी होने की तारीख के 12 महीने के भीतर भुगतान से जुड़ी लेटलतीफी शुरू हो गई.

  • व्यक्तिगत खपत के लिए लोन लेने वालों में से 43% के पास कर्ज लेते समय कम से कम कर्ज के तीन खाते चालू थे.

  • व्यक्तिगत खपत के लिए कर्ज लेने वालों में 30% ऐसे थे, जिन्होंने बीते 6 महीनों में तीन से ज्यादा लोन लिए थे.

  • 50,000 रुपये से कम कर्ज लेने वालों में 7.3% लोग ऐसे थे, जिनके ऊपर कम से कम एक पर्सनल लोन बकाया था.

नवंबर में RBI ने बैंकों और गैर बैंकिंग संस्थानों द्वारा दिए जान वाले अनसिक्योर्ड रिटेल लोन पर रिस्क वेट बढ़ाने का ऐलान किया था. बुधवार को जारी हुई 'ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया' रिपोर्ट में RBI ने कहा था कि ये निर्देश आगे स्थिति के बदतर होने से रोकने के लिए एहतियातन तौर पर जारी किए गए थे.

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