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RBI MPC: होम लोन पर मिलेगी बड़ी राहत! लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती की तैयारी, एक्सपर्ट्स को क्यों है इतनी उम्मीदें

गुरुवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी टिकाऊ मूल्य स्थिरता (Durable price stability) हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो निरंतर आधार पर ऊंची ग्रोथ के लिए जरूरी शर्त है.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी09:14 AM IST, 02 Jun 2025NDTV Profit हिंदी
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इस हफ्ते शुक्रवार यानी 6 जून को भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) अपनी मॉनिटरी पॉलिसी पेश करेगा. एक्सपर्ट्स इस बात की पूरी उम्मीद जता रहे हैं कि रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में कटौती करेंगे. वजह है अमेरिकी टैरिफ की वजह से पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल, ऐसे में देश की ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ये रेट में कटौती करना जरूरी होगा, साथ ही महंगाई दर भी 4% के नीचे बनी हुई है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 4 जून को शुरू हो चुकी है और 6 जून को पॉलिसी के फैसलों का ऐलान होगा. रिजर्व बैंक ने इसके पहले फरवरी और अप्रैल में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की थी, जिससे ये 6% पर आ गया है. मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने अप्रैल में अपने रुख में भी बदलाव किया था, इसे न्यूट्रल से अकोमोडेटिव कर दिया था. यानी आगे चलकर रिजर्व बैंक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए दरों में कटौती करने का रास्ता चुन सकता है.

फरवरी 2025 से पॉलिसी रेट 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो चुकी है, ज्यादातर बैंकों ने अपनी रेपो-लिंक्ड टेक्सटर्न बेंचमार्क बेस्ड लेंडिंग रेट्स (EBLR) और MCLR को कम कर दिया है.

ग्रोथ और महंगाई पर टिप्पणी पर नजर होगी: सबनवीस

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'हमारा मानना ​​है कि महंगाई पहले के मुकाबले ज्यादा नरम है और रिजर्व बैंक की ओर से उठाए गए कई कदमों की वजह से से लिक्विडिटी की स्थिति को बहुत सहज है, इस वजह से मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी 6 जून को रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौत कर सकता है. ग्रोथ और महंगाई दोनों पर टिप्पणी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि दोनों मापदंडों के लिए उनके पूर्वानुमानों में संशोधन की उम्मीद है'. उन्हें यह भी उम्मीद है कि रिजर्व बैंक इस बात पर अपना एनालिसिस विस्तार से बताएगा कि वैश्विक वातावरण भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा, ये देखते हुए कि अमेरिका की ओर से टैरिफ को लेकर दी गई राहत जुलाई में खत्म हो जाएगी.

मॉनिटरी ढील जारी रहने की संभावना: अदिति नायर 

ICRA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि इस वित्त वर्ष के बड़े हिस्से के लिए रिटेल महंगाई के 4% के पीछे रहने के पूर्वानुमान के साथ, MPC की ओर से मॉनिटरी ढील जारी रहने की संभावना है. उन्होंने कहा, '25 बेसिस प्वाइंट कटौती की उम्मीद है, इसके बाद दो पॉलिसी रिव्यू में दो और कटौतियां की जाएंगी, जिससे साइकल के अंत तक रेपो रेट 5.25% हो जाएगा'.

गुरुवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी टिकाऊ मूल्य स्थिरता (Durable price stability) हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो निरंतर आधार पर ऊंची ग्रोथ के लिए जरूरी शर्त है.

रिजर्व बैंक ने ये भी कहा कि वो मॉनिटरी पॉलिसी के के हिसाब से लिक्विडिटी मैनेजमेंट करेगा और अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सिस्टम में लिक्विडिटी को पर्याप्त बनाए रखेगा.

सरकार ने रिजर्व बैंक को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड रिटेल महंगाई 4% पर बनी रहे, जिसमें 2% का मार्जिन होना चाहिए.

'रुपये की वैल्यू गिरने से दबाव बढ़ने की संभावना'

इंडस्ट्री चेंबर एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल का भी मानना ​​है कि महंगाई के कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंचने और आगे भी नरमी बने रहने के साथ, अगली मॉनिटरी पॉलिसी में मॉनिटरी ढील और रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की गुंजाइश है.

सिंघल ने कहा, 'हालांकि शॉर्ट टर्म में रुपये की वैल्यू गिरने से दबाव बढ़ने की संभावना है, खासकर अगर वैश्विक ब्याज दरें (जैसे कि अमेरिका में) ऊंची बनी रहती हैं, तो इसका असर वैश्वक जोखिम लेने की क्षमता, कच्चे तेल की कीमतों और फेड के अपने मॉनिटरी रुख में बदलाव पर निर्भर करेगा. हम स्थिर विकास और मैनेज की जा सकने वाली महंगाई के मौजूदा माहौल को देखते हुए आक्रामक सहजता की तुलना में रणनीतिक धैर्य के महत्व पर जोर देते हैं.'

'घर खरीदारों को मिलेगी बड़ी राहत'

सिग्नेचर ग्लोबल के फाउंडर और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल का मानना ​​है कि रिजर्व बैंक एक बार फिर महंगाई में कमी और स्थिर ग्लोबल आउटलुक के कारण अगली MPC बैठक में रेपो दर में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती करके घर खरीदारों को बड़ी राहत देगा.'

प्रदीप अग्रवाल ने कहा 'ये देखते हुए कि पिछले दो MPC ऐलानों के बाद कई बैंक अपने लेंडिंग रेट्स में कमी कर रहे हैं, इस मोड़ पर एक और दर में कटौती सभी क्षेत्रों में घरों की मांग में बढ़ोतरी के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी. नतीजतन, पहली बार घर खरीदने वाले और निवेशक दोनों ही रियल एस्टेट बाजार में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे पूरे क्षेत्र में मांग में और मजबूती आएगी'.

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