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RBI के एक्शन के चलते बैंकों और NBFCs की क्रेडिट ग्रोथ पर कुछ हद तक लग सकती है लगाम: S&P ग्लोबल

अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन्स और फाइनेंस कंपनियों को लोन्स पर रिस्क वेट बढ़ाने के RBI के फैसले का खास उद्देश्य ग्रोथ को धीमा करना और बैंक-फाइनेंस कंपनीज के बीच आपसी संबंध को कम करना है: S&P ग्लोबल
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:59 PM IST, 24 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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S&P ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है कि RBI के रेगुलेटरी कदमों से बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में कुछ हद तक कमी आ सकती है.

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने कहा, 'अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन्स और फाइनेंस कंपनियों को लोन्स पर रिस्क वेटेज बढ़ाने के RBI के फैसले का उद्देश्य क्रेडिट ग्रोथ रोकना और बैंक-फाइनेंस कंपनीज के बीच के आपसी संबंध को कम करना है.'

S&P ग्लोबल का अनुमान है कि NBFCs की ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष में 18% पर आ जाएगी, जो एक साल पहले 20% थी. ये RBI के कदमों के चलते होगा.

रेटिंग एजेंसी का मानना है कि सामान्य स्थिति में NBFCs 14% की दर से बढ़ेंगी और वे बैंकिंग सेक्टर की तुलना में लोन ग्रोथ को बेहतर सस्टेन करेंगी.

दूसरी तरफ भारतीय बैंकों की कठोर अंडरराइटिंग (लोन देने के दौरान जोखिम का अनुमान लगाने की प्रक्रिया) के चलते एसेट क्वालिटी बेहतर होगी, जिसके तहत मुख्यत: कम जोखिम वाले ग्राहकों पर फोकस किया जाएगा. इससे लोन अप्रूवल रेट भी कम होगी.

एजेंसी का अनुमान है कि बैंक और नॉन बैंकिंग संस्थानों का रिटेल लोन 2030 तक तीन गुना हो जाएगा. इससे 2024 के अंत तक हाउसहोल्ड लेवरेज 23% से बढ़कर 2030-31 (अप्रैल-मार्च) में 34% पहुंच जाएगी.

S&P ग्लोबल में क्रेडिट एनालिस्ट गीता चुघ कहती हैं, 'हमारा अनुमान है कि RBI द्वारा उठाए गए हालिया कदमों से कर्ज देने वाले संस्थानों के अति उत्साह पर लगाम लगेगी, साथ ही ग्राहकों को भी सुरक्षा उपलब्ध होगी.'

बता दें अपर लेयर फाइनेंस कंपनीज के पास आमतौर पर मजबूत कैपिटल लेवल होता है, जिससे दो साल तक की क्रेडिट ग्रोथ का सपोर्ट मिल सकता है.

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