RBL बैंक की ओर से बजाज फिनसर्व के साथ पार्टनरशिप में जारी किए गए को-ब्रैंडेड क्रेडिट कार्ड पर RBI ने चिंताएं (Supervisory Concerns) जाहिर की है. मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने NDTV Profit को इस बारे में बताया है.
जानकारों ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि नॉन-बैंक लेंडर ने 2 साल का एक्सटेंशन मांगा था, लेकिन इस पार्टनरशिप को रिजर्व बैंक ने एक साल का ही विस्तार दिया है.
आमतौर पर, किसी बैंक को को-ब्रैंडेड कार्ड जारी करने से पहले विशेष नियामक मंजूरी लेना जरूरी नहीं होता. एक जानकार ने बताया कि 2021 में, RBL बैंक ने अपनी ओर से पार्टनरशिप को 5 साल के लिए बढ़ा दिया था.
हालांकि, ऐसी कार्ड अरेंजमेंट के लिए नॉन-बैंकिंग संस्थानों को हर 2 साल में रेगुलेटर केंद्रीय बैंक RBI से अप्रूवल लेने की आवश्यकता होती है.
RBI ने 2021 में दो साल के लिए अपनी मंजूरी दी थी, लेकिन अब उसने इस कार्ड पार्टनरशिप को केवल एक साल के लिए बढ़ाया है.
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि ये RBI की ओर से इस मामले में उठाई गई रेगुलेटरी चिंताओं की ओर ध्यान दिलाता है. बजाज फिनसर्व को एक और विस्तार मांगने से पहले इस मामले का हल निकालने की जरूरत है.
वर्तमान में, बजाज फिनसर्व को-ब्रैंडेड कार्ड, RBL बैंक के लिए क्रेडिट कार्ड सेगमेंट का बड़ा हिस्सा है. 30 सितंबर तक, बजाज फिनसर्व का को-ब्रैंडेड क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो 38.2 लाख था, जबकि RBL बैंक का क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो 48 लाख से अधिक कार्ड का था.
RBL बैंक और DBS बैंक के साथ नॉन-बैंकिंग संस्था बजाज फिनसर्व की 'को-ब्रैंडेड' व्यवस्था है. जानकार ने कहा कि RBL बैंक अपने मौजूदा पोर्टफोलियो में इन को-ब्रैंडेड कार्डों की मात्रा कम करने की प्रक्रिया में है.
उन्होंने कहा कि RBL बैंक ने क्रेडिट कार्ड ग्राहकों की सीधी पहुंच बढ़ाने के लिए 2,000 से अधिक लोगों को रोजगार दिया है.
15 नवंबर को, बैंकिंग नियामक RBI ने बजाज फाइनेंस को eCOM और InstaEMI कार्ड सहित उसके कुछ डिजिटल लोन प्रोडक्ट्स के तहत विस्तारित लोन देने से रोक दिया था. RBI ने बजाज फाइनेंस की ओर से रेगुलेटर के डिजिटल लोन नियमों का का पालन न करने का हवाला दिया.