ADVERTISEMENT

Explainer: AI के बाद अब AGI क्या है? इसके नफा-नुकसान क्या हैं?

आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) एक सॉफ्टवेयर है, जिसे काफी हद तक किसी इंसान के दिमाग की तरह काम करने लायक बनाने की कोशिश हो रही है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:27 PM IST, 17 May 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

हाल के बरस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इसके बढ़ते इस्तेमाल को लेकर दुनियाभर में चर्चा हो रही है. इसी बीच एक और टर्म खूब चर्चा में आ गया- आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI). इसके फायदे भी खूब गिनाए जा रहे हैं और इसको लेकर तरह-तरह की चिंताएं भी जताई जा रही हैं. ऐसे में AGI के हर पहलू को ठीक से समझना जरूरी है.

AGI क्या है?

आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) एक सॉफ्टवेयर है, जिसे काफी हद तक किसी इंसान के दिमाग की तरह काम करने लायक बनाने की कोशिश हो रही है. इसे इंसान की तरह सोचने-समझने, निर्णय करने, सुझाव देने और लगातार सीखने जैसे कामों के लिए विकसित किया जा रहा है. कह सकते हैं कि ये मशीन और आदमी के दिमाग के बीच के अंतर को मिटा देने की कोशिश है. हालांकि ये अभी रिसर्च के स्तर पर ही है. इसे पूरी तरह विकसित होने में काफी समय लगेगा.

AI से कितना अलग है?

दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के सॉफ्टवेयर की अपनी सीमाएं हैं. इसे किन्हीं खास-खास कामों को शानदार तरीके से करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है. जैसे, इसके जरिए ट्रांसलेशन किया जा सकता है, मनचाही तस्वीर निकाली जा सकती है, फोटो पहचानी जा सकती है, ग्राहकों से बातचीत की जा सकती है, कोई गेम खेला जा सकता है या किसी खास फील्ड में कोई काम लिया जा सकता है. लेकिन आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) इससे बहुत आगे की चीज है.

AGI को किसी खास नहीं, बल्कि लगभग हरेक काम को सही तरीके से करने के लिए तैयार किया जा रहा है. इसमें इंसान की तरह कॉमन सेंस होगा, तर्क-वितर्क करने और फैसला लेने की क्षमता होगी. सबसे बड़ी बात, ये इंसान की तरह अपने अनुभव और हर तरह की चीजों से लगातार सीखता रहेगा. ये उन जटिल समस्याओं को भी हल कर सकता है, जिसे इसको बनाने के दौरान सिखाई नहीं गई थी. तभी तो लोग आशंका जता रहे हैं कि कहीं ये इंसानों से भी आगे निकल गया, तो क्या होगा?

मतलब, AI हो या AGI, दोनों में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल है. फर्क यही है कि AI का कोई टूल किसी खास डोमेन में इंसान को टक्कर दे सकता है. इसका पैमाना तय है. लेकिन AGI हर फील्ड में इंसान को टक्कर देकर, उसे पीछे छोड़ सकता है. AGI अभी बस एक संभावना है. इस पर बहुत काम होना बाकी है.

AGI किस तरह फायदेमंद है?

वैसे देखा जाए, तो AGI का इस्तेमाल कई तरह से फायदेमंद हो सकता है. चाहे कोई भी फील्ड में हो, ये रिसर्च में इंसान की मदद कर सकता है. शिक्षा, सेहत, फाइनेंस, बिजनेस, कानून, प्रशासन, उद्योग, मीडिया, खेल, टेक्नोलॉजी- हर जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. कारण यह कि AGI के जरिए डेटा के विशाल भंडार को खंगालना, समझना, बेहतर नतीजे तक पहुंचना और उसके मुताबिक सुझाव देना मुमकिन हो जाएगा. इसके नतीजे में सिर्फ मशीनी ज्ञान न होकर, किसी विशेषज्ञ की तरह तार्किक बुद्धि भी होगी.

AGI के फायदे का कोई संभावित उदाहरण?

उदाहरण के लिए, मान लें कि कोई इंसान किसी बीमारी के इलाज को लेकर AGI के टूल से राय ले रहा है. ऐसे में ये सॉफ्टवेयर अपने डेटासेट को खंगालकर ये बता देगा कि अमुक बीमारी का बेहतर इलाज दुनिया की किस चिकित्सा-पद्धति में है.

किस-किस जगह के अस्पतालों में इलाज होता है. सबसे सस्ता इलाज कहां है, सबसे महंगा इलाज कहां है. इसमें सरकारी अनुदान पाना संभव है कि नहीं. जटिल हालात में कोई कानूनी अड़चन आएगी या नहीं.

बीमारी से उबरने का सक्सेस रेट कितना है और क्यों? मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर किसी खास इंसान को आगे कौन-सा कदम उठाना चाहिए. उसे यात्रा का टिकट कटाने के लिए किस टूल का इस्तेमाल करना चाहिए. वीजा, पासपोर्ट जैसी चीजें बनवाने की प्रक्रिया क्या है. यात्रा का कौन-सा साधन बेहतर रहेगा.

ठीक इसी तरह, किसी दूसरे सेक्टर से जुड़े सवाल के हर पहलू का जवाब ये अपने डेटासेट के जरिए दे पाएगा. माने AGI का ज्ञान किसी खास फील्ड तक ही सिमटा नहीं रहेगा, बल्कि यह हर फील्ड की हर बात, बारीकियों के साथ, तेज गति से बताने में सक्षम होगा.

AGI को लेकर क्या-क्या चिंताएं हैं?

ये सबसे जरूरी सवाल है. जब मशीन इंसान की क्षमता से आगे निकलने की राह पर हो, तो दुनिया का चिंतित होना लाजिमी है. खासकर तब, जब इसके लाभ-हानि को लेकर कोई ठोस राय कायम हुए बिना, इसके पीछे अरबों-खरबों डॉलर झोंकने की तैयारी की जा रही हो.

एक सबसे बड़ा डर तो यह है कि AGI के आ जाने से बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां छूट सकती हैं. हालांकि ये केवल एक संभावना है. लेकिन अगर ऐसा हुआ, तो यह कामकाज और रोजी-रोजगार के तय सिस्टम को ध्वस्त कर देगा. धनी और धनी हो सकते हैं, गरीब और गरीब हो सकता है. इस तरह सामाजिक खाई और चौड़ी हो सकती है. सुरक्षा व्यवस्था में सेंधमारी बढ़ सकती है. बैंकिंग सिस्टम को नुकसान हो सकता है. इंसान की आजादी और गोपनीयता के हक को लेकर खतरे बढ़ सकते हैं.

अगर इंसान की तरह सोचने-समझने का काम मशीनें करने लगेंगी, तो इससे इंसानों की सोचने-समझने की ताकत और धार धीरे-धीरे कुंद होती चली जाएगी. आज ChatGPT जैसे टूल का बच्चे किस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, ये देखने की बात है.

आगे क्या होना चाहिए?

ज्यादातर एक्सपर्ट इसी पक्ष में हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और इसके इस्तेमाल को लेकर मानक तय किए जाने चाहिए. साथ ही इसको लेकर कड़े नियम-कानून भी बनाए जाने की जरूरत है, जिससे इसका दुरुपयोग न हो सके. AGI पर रिसर्च से शायद ही किसी को कोई दिक्कत हो. पर इस रिसर्च और इससे बनने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल इंसानों के व्यापक हित में हो, इसी बात की दरकार है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT