बायजू को डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सोमवार को डेलावेयर कोर्ट ने ग्लास ट्रस्ट के प्रतिनिधित्व में बायजू लेंडर्स के पक्ष में दिए गए फैसले को बरकरार रखा है. इसकी वजह से एड-टेक कंपनी जो पहले से ही मुश्किलों से जूझ रही, उसके लिए मुसीबतें और बढ़ती हुई नजर आ रही हैं.
डेलावेयर कोर्ट से झटका लगने के बाद बायजू ने सफाई जारी की है. जिसमें उसने कहा है कि डेलावेयर कोर्ट के फैसले का भारत में चल रही कार्यवाही पर कोई असर नहीं होगा, ग्लास ट्रस्ट की कार्रवाई की वैधता अब भी न्यूयॉर्क सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है. थिंक एंड लर्न्स की इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया में ग्लास CoC का सदस्य नहीं है और न ही ग्लास का अमेरिका में कोई वैध दर्जा है और न ही भारत में कोई अधिकार है.
दरअसल, चांसरी कोर्ट ने एक फैसला दिया था, जिसमें बायजू को 1.2 बिलियन डॉलर का डिफॉल्टर माना गया था. इस फैसले पर अब डेलावेयर कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. नवंबर 2021 की बात है. जब एक क्रेडिट एग्रीमेंट के तहत बायजू की ओर से लोन फैसिलिटी का फायदा लिया गया था. क्रेडिट एग्रीमेंट ने बायजू को 1.2 बिलियन डॉलर की कुल मूल राशि देने वाले कर्ज के लिए शर्तें निर्धारित की गईं थीं.
37 वित्तीय संस्थानों के एक संगठन ने 1.2 बिलियन डॉलर का लोन इस शर्त पर खरीदा कि डिफॉल्ट की स्थिति में, ग्लास, लेंडर्स के अनुरोध पर, उनके अधिकारों को लागू करने के लिए काम कर सकता है. इस लोन के कोलैटरल के तौर पर थिंक एंड लर्न की डेलावेयर सब्सिडियरी जिसका नाम बायजू अल्फा है, इसने टर्म लोन के लिए 100% इक्विटी को कोलैटरल के रूप में गिरवी रख दिया.
मार्च 2023 में ग्लास ने डिफॉल्ट का एक नोटिस बायजू को भेजा, और बताया कि चूंकि डिफॉल्ट की स्थिति है, इसिलए अब वो क्रेडिट एग्रीमेंट के मुताबिक जो भी उपाय थे उसे लागू करने के लिए पात्र हो चुका है.
इकलौते शेयरधारक के रूप में बायजू की सब्सिडियरी कंपनी अल्फा पर नियंत्रण हासिल करने के बाद, ग्लास ने चांसरी कोर्ट में एक शिकायत दर्ज की, जिसमें ये डेक्लेरेशन देने की मांग की गई कि उसकी लिखित सहमति से की गई कार्रवाई वैध थी. कोर्ट ने अगस्त 2023 में सुनवाई की और नवंबर में ग्लास के पक्ष में फैसला सुनाया. अपना फैसला सुनाते हुए वाइस प्रेसिडेंट ने लोन एग्रीमेंट की ग्लास की व्याख्या से सहमति जताई और उसकी ओर से उठाए गए कदम को सही माना.
इस फैसले के खिलाफ बायूज डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट के सामने पहुंचा और अपील की, बायजू ने तर्क दिया कि न्यूयॉर्क की एक कोर्ट के सामने पेंडिंग एक मुकदमे को देखते हुए कोर्ट ऑफ चांसरी की कार्रवाई को खारिज किया जाना चाहिए था, लेकिन बायजू की अपील को ही डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. चूंकि बायजू इस मुद्दे को ट्रायल कोर्ट के स्टेज पर निपटाने में नाकाम रहा है, इसलिए अब ये मुद्दा ट्रायल कोर्ट से तय नहीं हो पाएगा.