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AI से दुनिया भर में करीब 40% नौकरियों पर पड़ेगा असर, IMF की रिसर्च में खुलासा

'ये एक परेशान करने वाला ट्रेंड है, जिसे पॉलिसीमेकर्स को टेक्नोलॉजी को सामाजिक तनाव को और बढ़ाने से रोकने के लिए सक्रिय रूप से कोशिश करना चाहिए'.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी08:58 AM IST, 15 Jan 2024NDTV Profit हिंदी
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क्या आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (AI) लोगों की नौकरियां खा जाएगा? इस सवाल के जवाब में दुनिया दो हिस्सों में बंट चुकी है. कई इसकी पैरवी करते हैं तो कई ये लोग मानते हैं कि आर्टिफिशिल इंटेलीजेंस एक बेहतरीन इनोवेशन होने के अलावा अपने साथ कई खतरे भी लेकर आ रहा है.

इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने अपनी एक एनालिसिस में कहा है 'आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस दुनिया की 40% नौकरियों (global jobs) पर असर डालेगा, और इसमें भी सबसे ज्यादा असर विकसित देशों (Advanced economies) पर होगा, उभरती हुई और कम कमाई वाले देशों पर इसका असर थोड़ा कम होगा'.

'AI सारी असमानता को बदतर बना देगा'

IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने स्टडी पर एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "ज्यादातर परिदृश्यों में, AI सारी असमानता को बदतर बना देगा, ये एक परेशान करने वाला ट्रेंड है, जिसे पॉलिसीमेकर्स को टेक्नोलॉजी को सामाजिक तनाव को और बढ़ाने से रोकने के लिए सक्रिय रूप से कोशिश करना चाहिए'.

AI की आय असमानता का असर काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगा कि टेक्नोलॉजी ऊंची कमाई वालों के लिए कितनी सहायक होती है. जॉर्जीवा ने कहा कि ऊंची कमाई वाले कर्मचारियों

और कंपनियों की ज्यादा प्रोडक्टिविटी से कैपिटल रिटर्न को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पैसों का अंतर बढ़ेगा. उन्होंने कहा, देशों को कमजोर कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा का ध्यान रखना होगा और उनके लिए री-ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाना होगा.

'AI से कुछ नौकरियां पूरी तरह रिप्लेस हो जाएंगी'

IMF की एनालिसिस के मुताबिक, हालांकि संभावना इस बात की है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कुछ नौकिरियां की जगह पूरी तरह से ले लेगा, लेकिन ज्यादा संभावना इस बात की है कि ये मानवीय कामों का पूरक होगा. जो विकसित देश हैं, वहीं इससे 60% नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं, जो कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं और कम आय वाले देशों के मुकाबले में कहीं ज्यादा है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जॉर्जीवा का विचार स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में ग्लोबल बिजनेस और पॉलिटिकल लीडर्स की बैठक से मेल खाता है, जहां AI चर्चा का विषय है.

कंपनियां उभरती हुई टेक्नोलॉजी पर पैसे बरसा रही हैं, जिससे कभी-कभी कर्मचारियों को अपने भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो जाती है. एक उदाहरण बजफीड (Buzzfeed Inc.) है, जिसने कंटेंट क्रिएशन में मदद के लिए AI का इस्तेमाल करने की योजना बनाई और इसका ऐलान करने के साथ ही 100 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी करते हुए अपने कोर न्यूज डिपार्टमेंट को बंद कर दिया.

यूरोपीयन यूनियन AI पर सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए कानून पर दिसंबर में एक अस्थायी समझौते पर पहुंच गया, जबकि अमेरिका अब भी अपने फेडरल रेगुलेटरी रुख पर विचार कर रहा है.

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