'सर्च इंजन मार्केट में गूगल (Google) इस कदर हावी है कि इसने बाकी कंपटीटर्स के लिए हालात बेहद मुश्किल बना दिया है और इससे कंपनी के बिजनेस को बड़ी चोट पहुंची है.' ये डर किसी और का नहीं बल्कि माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला (Microsoft CEO Satya Nadella) का है, जो उन्होंने अमेरिका की एक अदालत में सुनवाई के दौरान कहा.
दरअसल, सर्च इंजन मार्केट में गूगल की बादशाहत को चुनौती देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट बीते कई महीनों से एक लंबी लड़ाई लड़ रहा है. साल 2009 से ही माइक्रोसॉफ्ट का सर्च इंजन Bing गूगल से आगे निकलने की कोशिश में लगा हुआ है, लेकिन कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं कर सका. ऑपरेटिंग सिस्टम के मार्केट में विंडोज के साथ माइक्रोसॉफ्ट का दबदबा है, लेकिन जब बात सर्च इंजन की आती है तो गूगल के सामने ये काफी बौना नजर आता है.
गूगल की 'मोनोपॉली' के खिलाफ लड़ाई कोर्ट में चल रही है, बीते तीन महीने से अमेरिका की कोर्ट में गूगल के खिलाफ एंटीट्र्स्ट का मुकदमा चल रहा है. अमेरिका का न्याय विभाग भी गूगल पर ये आरोप लगा चुका है कि कंपनी अपने प्रतिद्वंद्वियों, स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरर्स और वायरलेस कैरियर्स को हर साल 10 बिलियन डॉलर देती है, ताकि वो अपने डिवाइसेज और वेब ब्राउजर में गूगल के सर्च इंजन को डिफॉल्ट ऑप्शन में रखें, जिससे गूगल की मोनोपॉली बनी रहे. हालांकि गूगल इन आरोपों से हमेशा इनकार करता रहा है.
सत्या नडेला का नया बयान न्याय विभाग के आरोपों को और मजबूत करता है. नडेला का कहना है कि अगर कुछ नहीं किया गया तो गूगल की जो मोनोपॉली आज है, वो कल भी ऐसे ही बनी रहेगी. गूगल की मोनोपॉली सर्च इंजन पर किस कदर है, इसके बारे में बताते हुए नडेला कोर्ट को कहते है कि आप सुबह उठते हैं, अपने दांत ब्रश करते हैं और गूगल सर्च इंजन पर बैठ जाते हैं.
नडेला ने वॉशिंगटन डीसी में एक कोर्ट रूप में ये बात कही, जहां अमेरिकी न्याय विभाग के वकील एक न्यायाधीश को ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि गूगल ने अपनी मोनोपॉली को बनाए रखने के लिए एप्पल और कई दूसरी कंपनियों को अवैध रूप से अरबों डॉलर का भुगतान किया है. नडेला ने कोर्ट में सवाल-जवाब के दौरान कहा कि आप इसको (गूगल) पॉपुलर कह सकते हैं, लेकिन मेरे लिए इसे 'हावी' होना कहते है. नडेला ने कहा कि मैं उसके खिलाफ खड़ा हूं जिसके पास 97% मार्केट शेयर है, लड़ाई तब और भी ज्यादा मुश्किल हो जाती है, जब आपके पास मार्केट शेयर नहीं है.
अपना केस साबित करने के लिए न्याय विभाग नडेला और माइक्रोसॉफ्ट के अन्य अधिकारियों की गवाही का इस्तेमाल कर सकता है. इससे ये दिखाया जा सकता कि कैसे माइक्रोसॉफ्ट जैसी इतनी बड़ी कंपनी भी सर्च इंजन मार्केट में गूगल का कुछ नहीं बिगाड़ सकी. सरकार इस हफ्ते छोटे सर्च इंजनों के फाउंडर्स को भी बुलाने की योजना बना रही है.
नडेला ने Bing को डेवलप करने में बड़ी भूमिका निभाई थी, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने गूगल के साथ कंपटीशन करने और ऑनलाइन एडर्टाइजिंग मार्केट के एक हिस्से पर कब्जा करने की कोशिश में बनाया था, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. नडेला ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन में 100 बिलियन डॉलर का निवेश किया है.
गूगल की कानूनी टीम ये तर्क देना चाहती है कि Bing पिछड़ रहा है क्योंकि ये एक घटिया प्रोडक्ट है और माइक्रोसॉफ्ट ने इसके डेवलपमेंट में बहुत कम निवेश किया है. गूगल के वकील से पूछताछ के दौरान, नडेला इस बात पर सहमत हुए कि 2007 में माइक्रोसॉफ्ट ने अनुमान लगाया था कि उसके पास गूगल की तुलना में आधे सर्च इंजीनियर हैं, और वो व्यापक रूप से कंपटीटिव प्रोडक्ट बनाने से तीन से पांच साल दूर था, तब तक गूगल लोगों की उंगलियों पर चढ़ चुका था.
नडेला ने कहा कि डिस्ट्रीब्यूशन ही कामयाबी की चाबी है, और उनकी कंपनी आईफोन पर Bing को डिफॉल्ट सर्च ऐप का दर्जा देने के लिए एप्पल को भारी भुगतान करने के लिए तैयार थी. (इससे हर एप्पल फोन में Bing ऐप पहले से ही लोडेड रहता) डिफॉल्ट ऐप ही इकलौती ऐसी चीज है जो मायने रखती है, इस पर गूगल का तर्क कि यूजर्स आसानी से दूसरे ऐप पर स्विच कर लेंगे, "फर्जी" थे. नडेला ने कहा कि एप्पल के उनके प्रस्ताव को नकारे जाने के बाद Bing एक बहुत छोटा खिलाड़ी बनकर रह गया है.
नडेला ने कहा कि कंपनी ने Bing में निवेश करना जारी रखा है. नडेला ने कहा कि शुरुआत में ChatGPT को लेकर काफी उत्साह दिखा था, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि ChatGPT भी गूगल के प्रभुत्व को शायद हिला नहीं पाएगा. सत्या नडेला ने कहा कि अब उनकी चिंता ये है कि गूगल सर्च अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल उन मजबूत कंटेंट प्रोवाइडर्स के लिए कर सकता है, जो जेनेरेटिव AI मॉडल को ट्रेनिंग देने के लिए जरूरी हैं.