इंफोसिस के को-फाउंडर और आधार के आर्किटेक्ट कहे जाने वाले नंदन नीलेकणि शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर खेती और कई अन्य क्षेत्र में AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका को बेहद अहम मानते हैं. AI में निवेश के समर्थक नीलेकणि का मानना है कि इसमें निवेश न करना, समय के साथ काफी महंगा साबित हो सकता है.
जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत के चर्चित पॉडकास्ट प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में निवेश न करने की लागत, इसमें निवेश करने से ज्यादा महंगा पड़ सकता है. कारण कि अगर अगले 5 साल में कोई बड़ा प्लेटफॉर्म बदलाव होता है, तो कंपनियां कारोबार से बाहर हो सकती हैं.
निखिल कामत ने अपने पॉडकास्ट 'People by WTF' में उनसे ये सवाल पूछा था कि क्या रेवेन्यू कैपिसिटी पर अनिश्चितता को देखते हुए AI में बड़े पैमाने पर निवेश एक बबल बन सकता है.
मैं AI में निवेश न करने का जोखिम नहीं उठा सकता, इसलिए मैं हर साल 50 बिलियन डॉलर खर्च करना बेहतर समझता हूं. अगर कोई बड़ा प्लेटफार्म बदलाव होता है और मेरे पास ये नहीं होता है, तो मैं हमेशा के लिए इस खेल से बाहर हो सकता हूं.नंदन नीलेकणि
AI सेक्टर में कौन-सी कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं और उनके निवेश कहां हैं, इस सवाल पर नीलेकणि ने कहा कि वे निवेश के दृष्टिकोण से ज्यादा परोपकार के मकसद के लिए निवेश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'मुझे वास्तव में कंपनी में इतनी दिलचस्पी नहीं है. मेरी दिलचस्पी ये है कि हम इसका इस्तेमाल आबादी के पैमाने पर, कम लागत पर, शिक्षा, स्वास्थ्य या खेती या किसी भी चीज में बदलाव लाने में कैसे कर सकते हैं.
पिछले महीने उन्होंने स्टार्टअप 'सर्वम AI' को लेकर उत्साह दिखाया था, क्योंकि इसने दुनिया की आशंकाओं को दूर करते हुए दो बिलियन मापदंडों के साथ एक 'स्मॉल लैंग्वेज मॉडल' (SLM) बनाया है.
लाइटस्पीड समर्थित 'सर्वम' ने उद्यमों के लिए सर्वम एजेंट लॉन्च किए हैं, जो वॉयस-इनेबल्ड और कई भाषाओं में दक्ष कस्टम बिजनेस एजेंट हैं. इन्हें टेलीफोन, व्हाट्सएप या इन-एप के जरिए तैनात किया जा सकता है.
10 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध, इन वॉयस एजेंट की लागत 1 रुपये/मिनट से शुरू होती है, जबकि किसी व्यक्ति को एजेंट रखा जाए जो उसकी लागत 10 रुपये/मिनट होगी.
नीलेकणि ने कहा कि उनका नया प्रोजेक्ट यूनिफाइड एनर्जी इंटरफेस (UEI) जैसा कुछ बनाना है, जहां लोग बिजली खरीद और बेच सकते हैं.
ये इंफ्रास्ट्रक्चर नीलेकणि समर्थित ओपन-सोर्स 'बेकन प्रोटोकॉल' पर आधारित होगा, जो API, डेटा मॉडल, रेफरेंस आर्किटेक्चर, ट्रांजैक्शन मैकेनिज्म और ग्लोबल स्टैंडर्ड्स जैसे स्पेसिफिकेशंस प्रोवाइड करता है. बेकन प्रोटोकॉल देश के ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और राइड-हेलिंग सेवा ऐप नम्मा यात्री का आधार है.
हम यूनिफाइड एनर्जी इंटरफेस बना रहे हैं. जहां लोग बिजली खरीद और बेच सकते हैं. इसलिए जहां भी आपको अलग-अलग लोगों के बीच लगातार तरीके से चीजें खरीदनी और बेचनी हैं, ऐसा करने के लिए बेकन प्रोटोकॉल एक तरीका हो सकता है.नंदन नीलेकणि
उन्होंने एनर्जी ट्रांजैक्शन के इस विचार की तुलना इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशनों के इस्तेमाल के तरीके से की. उन्होंने कहा, 'मैं चार्जिंग स्टेशन पर जा सकता हूं और UEI के माध्यम से बिजली खरीद सकता हूं. मैं क्विक कॉमर्स का बेकन-बेस्ड एडिशन बनाऊंगा, जहां डार्क स्टोर्स में निवेश करने के बजाय, मैं अपने पड़ोस के रिटेलर्स का इस्तेमाल करूंगा, और मैं क्विक कॉमर्स क्षमता प्रोवाइड करूंगा.'