एप्पल के आईफोन की कीमतें बढ़ाने की खबरों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने सोमवार को एप्पल के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर टिम कुक से बात की है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मामले से परिचित लोगों का हवाला देते हुए बताया कि एप्पल इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या वो आईफोन की अगली खेप की कीमतों को बढ़ा सकता है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया कि कंपनी इस बात पर विचार कर रही है कि क्या नए फीचर्स और डिजाइन का हवाला देते हुए कीमतों में बढ़ोतरी करनी चाहिए. जबकि धारणा इस बात की बन रही है कि आईफोन की कीमतों में किसी भी बढ़ोतरी के तार सीधा टैरिफ से जाकर जुड़ेंगे.
वॉल स्ट्रीट जर्नल रिपोर्ट्स के कुछ घंटों बाद, ट्रंप ने कहा कि उन्होंने कुक से बात की है, हालांकि उन्होंने कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कोई चर्चा नहीं की, इसके बजाय उन्होंने जानना चाहा कि कंपनी $500 बिलियन से ज्यादा निवेश अमेरिका में करने वाली है, जैसा कि एप्पल ने फरवरी में कहा था, उसे लेकर क्या सोच रहे हैं.
ट्रंप ने कहा, 'वो एप्पल के लिए अमेरिका में बहुत सारे प्लांट बनाने जा रहे हैं'. कंज्यूमर और एनालिस्ट्स एक महीने से ज्यादा वक्त के लिए एप्पल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए तैयार हैं. ब्लूमबर्ग न्यूज ने अप्रैल में बताया था कि कंपनी ने टैरिफ की तैयारी के लिए इन्वेंट्री का स्टॉक कर लिया है और कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ रही है. अमेरिका और चीन की ओर से ट्रेड विवाद को कम करने के बाद न्यूयॉर्क में एप्पल के शेयर 6.2% बढ़कर $210.79 पर पहुंच गए.
दरअसल, बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया में कई पोस्ट में ये दावा किया गया है कि एप्पल टैरिफ के असर को कम करने के लिए आईफोन की कीमतों को बढ़ाने पर विचार कर रही है. कुक ने हाल ही में एक अर्निंग्स कॉल के दौरान कहा कि टैरिफ के कारण इस तिमाही में एप्पल को लगभग 900 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है.
उसी कॉल के दौरान उनसे कीमतों में बढ़ोतरी के बारे में पूछा गया था, लेकिन उन्होंने तुरंत सवाल को ये कहते हुए टाल दिया कि हमारे पास आज इस पर कोई ऐलान करने के लिए कुछ नहीं है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने बताया कि आईफोन प्रो और प्रो मैक्स मॉडल सहित हाई-एंड फोन चीन में बनाए जाएंगे, जबकि एप्पल भारत की फैक्ट्रियों में क्षमता का निर्माण कर रहा है. ब्लूमबर्ग न्यूज ने बताया कि एप्पल अगले साल के अंत तक अमेरिका में बेचे जाने वाले ज्यादातर आईफोन भारत से इंपोर्ट करना चाहता है. जिससे टैरिफ और जियो-पॉलिटिकल तनाव से संबंधित जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी.