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अमेरिका में आईफोन बनाना भारत की तरह सस्‍ता नहीं; ट्रंप की सलाह मानी तो एप्‍पल का निकल जाएगा जूस!

इंडस्‍ट्री एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका में iPhone बनाने पर उसकी लागत 3 गुना बढ़ सकती है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी06:30 PM IST, 16 May 2025NDTV Profit हिंदी
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अमेरिकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप (Donald Trump) इन दिनों अपने 'बड़बोलेपन' के लिए चर्चा में हैं. कभी टैरिफ को लेकर धमकाने और फिर कदम वापस खींचने तो कभी दो देशों के बीच के मसले में टांग अड़ाने और 'बहवई' लूटने को लेकर वे लगातार खबरों में बने हुए हैं.

'अमेरिका फर्स्‍ट' पॉलिसी के मुताबिक टैरिफ वॉर के साथ-साथ वे सलाह और सुझाव देने में अतिवाद भी दिखाने से नहीं चूक रहे. हाल ही में उन्‍होंने आईफोन मेकर कंपनी एप्‍पल (Apple) के CEO टिम कुक को भारत में iPhone का प्रोडक्शन बंद करने और अमेरिका में ही प्रोडक्‍शन करने को कहा है.

अब देखिए कि भारत की ग्रोथ स्‍टोरी पर बढ़ते भरोसे के बीच जब दुनियाभर के निवेशक और कारोबारी भारत में एंट्री कर रहे हैं, वहीं इसके उलट ट्रंप, अपने देश की कंपनी को यहां से एग्जिट की सलाह दे रहे हैं.

इंडस्‍ट्री एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि टिम कुक अगर ट्रंप के कहे पर चलें तो Apple का 'जूस' निकल जाएगा. कहने का मतलब ये कि अमेरिका में iPhone बनाने पर उसकी लागत 3 गुना बढ़ सकती है. उनका कहना है कि अमेरिका में iPhone बनाए गए तो उसकी कीमत मौजूदा 1,000 डॉलर से बढ़कर करीब 3,000 डॉलर हो सकती है.

अमेरिका को ही भारी पड़ेगी ट्रंप की सलाह!

ट्रंप की सलाह को जानकार आलोचना की दृष्टि से देख रहे हैं. पांव पर कुल्‍हाड़ी लगना अलग बात है, लेकिन ये तो कुल्‍हाड़ी पर ही पांव मार देने जैसा कदम होगा!

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, महरत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स, इंडस्ट्रीज़ एंड एग्रीकल्चर (MCCIA) के डायरेक्टर जनरल प्रशांत गिरबाने ने ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'अगर Apple चीन, भारत या वियतनाम छोड़कर अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग करता है, तो iPhone की कीमत तीन गुना हो जाएगी. क्या अमेरिकी ग्राहक इसके लिए तैयार हैं?'

गिरबाने ने बताया कि फिलहाल 80% आईफोन्‍स चीन में बनते हैं और इससे वहां 50 लाख से ज्‍यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है. जब Apple ने भारत में निर्माण की योजना बनाई, तो ये चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा था.

उन्होंने कहा, 'iPhone मैन्युफैक्चरिंग चीन से भारत शिफ्ट हो रही है, न कि अमेरिका से. इससे अमेरिका को ही फायदा है क्योंकि सप्लाई चेन में विविधता आएगी और उसके कंपटीटर, चीन की पकड़ कमजोर होगी.'

'Apple भला क्‍यों माने ट्रंप की सलाह'

टेलीकॉम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (TEMA) के चेयरमैन NK गोयल का भी मानना है कि Apple भारत से बाहर नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, 'ट्रंप के बयानों पर तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए. Apple ने पिछले एक साल में भारत से 22 बिलियन डॉलर से ज्‍यादा के iPhone एक्सपोर्ट किए हैं. भारत में Apple के तीन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, जबकि आगे दो और यूनिट्स की योजना है.'

गोयल के मुताबिक, Apple पहले ही चीन से भारत आ चुका है और यहां से बाहर जाने पर उसे नुकसान होगा. उन्होंने कहा, 'Apple भारत से नहीं जाएगा क्योंकि यहां का बाजार, उत्पादन लागत और नीति समर्थन उसे फायदा दे रहे हैं.'

'मेड इन इंडिया' iPhone ने तोड़े रिकॉर्ड

KPMG के पूर्व पार्टनर जयदीप घोष ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 में भारत में 1.75 लाख करोड़ रुपये के iPhone बने, जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 1.2 लाख करोड़ रुपये था. घोष का कहना है कि Apple का इंडिया इकोसिस्टम बेहद अहम है.

उन्होंने चेताया कि अगर Apple भविष्य में भारत से बाहर जाता है, तो इससे भारतीय बाजार और रोजगार पर भी असर पड़ेगा. हालांकि उन्‍होंने जोड़ा कि अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करना इतना आसान नहीं है. वहां मजदूरी महंगी है और उत्पादन लागत काफी बढ़ जाएगी.

क्‍यों आसान नहीं अमेरिका में iPhone बनाना?

  • महंगा लेबर: अमेरिका में कामगारों की तनख्वाह भारत और चीन से कहीं ज्यादा है.

  • बढ़ती लागत: मशीनरी, फैक्ट्री, सप्लाई चेन सबकुछ नए सिरे से सेट करना पड़ेगा.

  • प्रॉफिट मार्जिन: ज्यादा कीमत पर iPhone बिकेगा नहीं, तो Apple को मुनाफा कम करना पड़ेगा.

ट्रंप के बयान को सीरियस लेंगे टिम?

'अमेरिका में ही सबकुछ बनवाने की ट्रंप की बनाओ' वाली नीति में अमेरिकी भावनाएं भले हों, लेकिन हकीकत यही है कि iPhone का अमेरिका में बनना न Apple के लिए व्यावसायिक रूप से फायदेमंद है और न ही अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए.

एप्‍पल फिलहाल भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने की राह पर है. कुछ जानकारों का मानना है कि ट्रंप की हालिया बयानबाजियों को उतनी गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.

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