मशहूर लेखक युवल नोआ हरारी का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस महज एक टूल नहीं है, बल्कि ये स्वायत्त एजेंट है, जो खुद अपने फैसले ले सकता है. इन फैसलों का समाज पर अनियंत्रित और गहरा असर हो सकता है.
'सेपियंस: अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड' के लेखक हरारी कहते हैं, 'परमाणु बम ये तय नहीं कर सकता था कि किस पर बम चलाया जाए, ना ही हाइड्रोजन बम ऐसा कर सकता था. लेकिन AI ये तय कर सकता है कि कहां बम चलाया जाए, इसके अलावा AI अगली पीढ़ी भी तैयार कर सकता है.' NDTV Profit से बात करते हुए हरारी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तेजी से आगे बढ़ा है. उन्होंने लैंग्वेज ट्रांसलेशन जैसे क्षेत्रों में इसकी उन्नति की चर्चा भी की. उन्होंने कहा, '5 साल पहले ट्रांसलेशन काफी कठिन था. गूगल ट्रांसलेशन पूरी तरह मजाक था. लेकिन अब AI के जरिए ये बेहतर हो गया है. जो ट्रांसलेशन AI करता है, उसका मतलब होता है.'
वे आगे कहते हैं कि AI पर पूरी बहस का जबरदस्त तरीके से ध्रुवीकरण हुआ है. कुछ लोग इसे एक क्रांतिकारी ताकत के तौर पर देखते हैं, जबकि बाकी इसके संभावित डरों के बारे में आशंकाएं जताते हैं. हरारी कहते हैं, 'मुझे लगता है कि इतिहास बदलाव का अध्ययन है ना कि अतीत का. आज इतिहास किसी भी वक्त से ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि हम इंसानी इतिहास के सबसे बदलाव- AI रेवोल्यूशन से गुजर रहे हैं.'
दरअसल हरारी का एक बड़ा डर ये है कि AI के चलते इंसानी नियंत्रण खो सकता है. वे कहते हैं, 'हम अब एक ऐसी चीज बना रहे हैं, जो हमसे ज्यादा इंटेलीजेंट हो सकती है, जो हमारे नियंत्रण से बाहर हो सकती है.' हरारी ने इसके लिए AI सिस्टम्स का उदाहरण दिया है, जो फैसला लेने के लिए जिम्मेदार होते हैं. जैसे लोन के लिए कौन योग्यता रखता है और कौन नहीं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ये सरकारी ऑफिर, यूनिवर्सिटी जैसी जगहों पर भी फैल सकता है, मतलब एक ऐसी दुनिया बनेगी, जहां फैसले AI ब्यूरोक्रेट्स द्वारा लिए जाएंगे. इन चिंताओं के बावजूद हरारी कहते हैं कि वे AI के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे सिर्फ उन चीजों पर ध्यान फोकस कर रहे हैं, जो AI लेकर आ रहा है.
हरारी कहत हैं कि हजारों साल तक मानव संस्कृति की तमाम चीजें, जिनमें संगीत से लेकर धर्म तक शामिल है, उन्हें इंसानी दिमाग ने बनाया. लेकिन अब इसमें ज्यादातर चीजें 'एलियन इंटेलीजेंस' से आएंगी. क्योंकि AI बुनियादी तौर पर ऑर्गेनिक चीजों से अलग तरीके से काम करता है. वे कहते हैं, 'ये ऑर्गेनिक नहीं है. ये हमसे उससे भी ज्यादा अलग है, जितना चिंपांजी और कुत्ते भी नहीं हैं.'
जिस तरीके की AI की उपस्थिति और क्षमताएं हैं, हरारी का मानना है कि AI अगल वैश्विक वित्तीय संकट खड़ा कर सकता है. सरकारों को AI को रेगुलेट करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. वे कहते हैं, 'आदर्श तौर पर सरकारों को AI पर लगाम लगानी चाहिए. लेकिन नई अमेरिकी सरकार इस पर लगाम नहीं लगाएगी, क्योंकि AI की दुनिया में वे आगे हैं. ये वैसा ही हो सकता है, जैसा 19वीं सदी में इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन के दौरान हुआ था. चिंता ये है कि जो देश AI रेवोल्यूशन का नेतृत्व कर रहे होंगे, उनके पास अभूतपूर्व ताकत होगी, बिलकुल वैसे ही जैसे अतीत में इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन में अग्रणी देशों का दुनिया में प्रभुत्व बन गया था. '