सरकार रीयल एस्टेट के विनियमन और घर खरीदने वालों के हितों की रक्षा के लिए जल्द ही एक विधेयक लाएगी।
आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री अजय माकन ने रविवार को राष्ट्रीय संपादकों के सम्मेलन में यहां कहा, "हम रीयल एस्टेट (विनियमन और विकास) विधेयक 2012 को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष लाएंगे। हम इसे बजट सत्र में ही पारित हो जाने की उम्मीद कर रहे हैं।"
विधेयक के अनुसार, कोई डेवेलपर या बिल्डर जब तक सभी जरूरी मंजूरी प्राप्त नहीं कर लेता और उसे विनियामक प्राधिकारी के पास सबूत के तौर पर पेश नहीं कर देता, तब तक वह भवन परियोजना की शुरुआत नहीं कर सकता।
परियोजना के निर्माण की मंजूरी नहीं मिलने तक कोई डेवेलपर घर के खरीदारों से किसी भी प्रकार की राशि नहीं वसूल सकता।
परियोजना की मंजूरी मिलने के बाद डेवेलपर को खरीदारों से वसूली गई राशि को एक अलग बैंक खाता में जमा करना होगा। यह राशि केवल उसी परियोजना में इस्तेमाल होगी।
माकन ने कहा कि डेवलपर कभी-कभी खरीदारों से वसूली गई राशि को दूसरी परियोजना की भूमि खरीदने में खर्च कर देते हैं। इससे परियोजना को पूरी होने में देरी हो जाती है। नतीजतन खरीदारों को मकान मिलने में भी देरी हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि डेवलपर खरीदारों को लुभाने के लिए अपनी भवन परियोजना के विज्ञापन में विदेशी भवन परियोजनाओं की तस्वीर नहीं दिखा सकेंगे।
माकन ने कहा, "उन्हें अपनी वास्तविक परियोजना की तस्वीर इस्तेमाल करनी होगी।"
मंत्री ने कहा कि रीयल एस्टेट के लिए एक समान विनियामक कानून होगा। इससे संबंधित विवादों के निपटाने के लिए त्वरित अदालतों की व्यवस्था होगी।
माकन ने कहा, "नियमों का पहली बार उल्लंघन करने पर परियोजना लागत की 10 प्रतिशत राशि के बराबर जुर्माना लगाया जाएगा। दूसरी बार उल्लंघन करने पर कारावास की सजा होगी।"