देश में प्याज की मंडियों में व्यापारियों का दबदबा है तथा साठगांठ और जमाखोरी के चलते प्याज की कीमतें प्रभावित हुई हैं। प्रतिस्पर्धा आयोग के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
अध्ययन में कहा गया है, प्याज की मंडियों में स्पष्ट रूप से घालमेल है और साठगांठ होने के चलते कीमतें चढ़ी हैं। बेंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकोनामिक चेंज द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के लिए किए गए इस अध्ययन में महाराष्ट्र और कर्नाटक की प्रमुख प्याज मंडियों में प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, मौसमी उतार-चढ़ाव, अंतर सबंध, दैनिक, मासिक आवक आदि से प्याज की मंडियों में प्रतिस्पर्धीरोधी तत्वों की मौजूदगी के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, कुछ बड़े व्यापारियों का अन्य बाजारों में बिचौलियों के साथ बढ़िया साठगांठ है, जिससे कीमतें बढ़ने की उम्मीद में जमाखोरी की दिशा में कदम उठाया जाता है।
इसके अनुसार प्याज बाजार को व्यापारी नचा रहे हैं, न कि किसान। प्याज के बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव प्याज के रकबे में घट-बढ़ या मौसमी परिस्थितियों की भूमिका बहुत थोड़ी है। ज्यादातर कारोबार कमीशन एजेंटों और व्यापारियों के हाथ में है। ज्यादातर किसानों में व्यापार करने की कुशलता की कमी, बाजार की उचित जानकारी न होना और जोखिम उठाने से परहेज करना ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से किसान प्याज के बाजार को प्रभावित नहीं कर पाते।