जीएसटी काउंसिल (माल एवं सेवा कर परिषद ) ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों, कसीनो और घुड़दौड़ में दांव पर लगाई जाने वाली कुल राशि पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगाने का फैसला किया है. साथ ही सिनेमाघरों में बिकने वाले खाने-पीने के सामान पर कर की दर घटाने के साथ उपकर के लिये एसयूवी की परिभाषा को भी बदल दिया गया है. परिषद ने कैंसर के इलाज वाली दवा डिनुटूक्सिमैब और दुर्लभ बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली औषधि को जीएसटी दायरे से बाहर रखने का भी फैसला किया है. इसके अलावा निजी कंपनियों की तरफ से दी जाने वाली उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं को भी जीएसटी से छूट देने का निर्णय किया गया है.
अब जब परिषद ने फैसला ले लिया है तब से तमाम तरह के उद्योगों से जुड़े लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है. कई लोगों को किसी प्रकार का संदेह है कि यह कर कैसे लगेगा. कैसिनो पर भी लगे 28 फीसदी जीएसटी पर कई तरह की बातें हो रही हैं. ऐसे में फिनट्रैक के फाउंडर अमित कुमार गु्प्ता ने एक ट्वीट कर कैसिनो पर लगे 28 फीसदी जीएसटी पर कुछ जानकारी साझा की है और बताया है कि किस प्रकार से ये टैक्स लगेगा.
उन्होंने ट्वीट में कहा, कैसीनो के लिए, कई लोग भ्रमित हैं कि 28% जीएसटी हर दांव के लिए है. यह सही नहीं है. जीओएम की इस सिफारिश को पिछले साल ही खारिज कर दिया गया था.
इसके बाद यह प्रस्तावित किया गया कि जब कोई व्यक्ति पहली बार में चिप एक्सचेंज करेगा तो उस पर 28% जीएसटी लगना चाहिए. इस पर उद्योग प्रतिनिधियों ने तर्क दिया:
(1) व्यक्ति प्रवेश करें, कैसीनो में घूमें, कुछ भी न खेलें. इसलिए, माल की सेवा या आपूर्ति की कोई घटना नहीं हुई. कैसीनो को पूरा रिफंड वापस देना होगा.
(2) यदि कोई व्यक्ति प्रवेश के बाद कैसीनो में दांव लगाता है, और जुआ खेलने के बाद शेष चिप्स वापस कर देता है, तो सेवा की आपूर्ति पर कर लगाया जा सकता है, न कि केवल मूल राशि पर. यह विश्व स्तर पर जीजीआर (सकल गेमिंग राजस्व) अभ्यास के अनुरूप है.
इस पर स्पष्टीकरण आएगा, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि जीएसटी परिषद चिप्स के अंकित मूल्य पर 28% जीएसटी के लिए गई है, भले ही कोई कैसीनो में खेलता हो या नहीं.
और इसमें कोई राजनीतिक एंगल नहीं है. जीएसटी काउंसिल सभी राज्यों से मिलकर बनी है और इसमें सर्वसम्मति से फैसले लिए जाते हैं.
कुल मिलाकर यह देखा जा सकता है कि अभी भी जीएसटी काउंसिल के फैसले पर कुछ सफाई आनी बाकी है. टैक्स लगा दिया गया है और अभी इसकी बारीकियों पर कुछ काम होना या फिर स्पष्टता आनी सरकार की ओर से बाकी है. माना जा रहा है कि सरकार की ओर से इन सारे सवालों का जवाब जल्द ही दे दिया जाएगा.