बुनियादी ढांचा क्षेत्र की प्रमुख कंपनी जीएमआर और जीवीके बड़ी सड़क परियोजनाओं से इसलिए बाहर निकल रही हैं कि वे इनके लिए धन जुटाने में असमर्थ हैं। यह बात यह बात भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण ने गुरुवार को कही।
प्रधिकारण ने इन फैसलों के पीछे पर्यावरण मंजूरी में विलम्ब या नियामकीय बाधाओं के कंपनियों के तर्क को महत्व नहीं दिया है।
प्राधिकारण (एनएचएआई) के प्रमुख प्रमुख आरपी सिंह ने कहा ‘‘मूल रूप से हमारे विचार से ये देनों कंपनियां अर्थिक हालात में बदलाव और लागत में वृद्धि के कारण दो परियोजनाओं से निकल रही हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘भारी भरकम निजी इक्विटी का प्रबंध करना सबसे बड़ी समस्या है क्योंकि ये परियाजनाएं अपेक्षाकृत बहुत बड़ी हैं।’’
फिक्की के एक समारोह के मौके पर सिंह ने कहा ‘‘जीवीके परियोजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये की इक्विटी की जरूरत है जबकि जीएमआर को 2,000 करोड़ रुपये की इक्विटी चाहिए। मौजूदा हालात में उन पर वित्तीय बोझ है। उनके लिए इतनी इक्विटी जुटाना संभव नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा कि एनएचएआई को इन दोनों कंपनियों के साथ सहानुभूति है लेकिन वह अनुबंध खत्म करने के लिए इन वजहों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि वे मान्य नहीं हैं।
जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर ने राजमार्ग के साथ 5,700 करोड़ रुपये का किशनगढ़-उदयपुर-अहमदाबाद एक्सप्रेसवेज अनुबंध खत्म कर दिया जबकि जीवीके ने मध्यप्रदेश में शिवपुरी-देवास एक्सप्रेसवे से हाथ खींचा है।