अदाणी - हिंडनबर्ग रिसर्च मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक कमिटी के गठन का आदेश दिया है, ये कमेटी कई पहलुओं की जांच करके अपनी रिपोर्ट 2 महीने में सौंपेगी. इस कमेटी में कई और सदस्य भी शामिल होंगे. इसके अलावा SEBI को भी अपनी जांच जारी रखने को कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जो कमिटी बनाई है उसकी अध्यक्षता रिटायर्ड जज अभय मनोहर सप्रे करेंगे. इस कमेटी में जस्टिस सप्रे के अलावा, जस्टिस ओ पी भट्ट (OP Bhat), जस्टिस जे पी देवदत्त (JP Devdatt ), के वी कामत (KV Kamath ), नंदन नीलेकणि (Nandan Nilekani) और सोमाशेखर सुंदरेशन (Somasekharan Sundaresan) होंगे.
ये कमेटी अपनी जांच रिपोर्ट को दो महीने में तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को एक बंद लिफाफे में देगी. सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी को ये आजादी भी दी है कि वो दूसरे एक्सपर्ट्स से भी राय मशवरा ले सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल मुख्य न्यायधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला ने देखा कि मामले की जांच मार्केट रेगुलेटर SEBI पहले से ही कर रही है, इसलिए उसे आगे भी जांच करते रहने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SEBI अपनी जांच 2 महीने में पूरी करे, साथ ही जो भी जानकारी कमिटी को चाहिए वो मुहैया कराए.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी का बयान आया है,उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने लिखा कि अदाणी ग्रुप माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि सत्य की जीत होगी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में दिए गए केंद्र सरकार की ओर से विशेषज्ञों के प्रस्तावित पैनल के सुझाव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के लिए पूरी पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित पैनल के कामकाज की देखरेख करने वाले किसी सिटिंग जज की संभावना से भी इनकार कर दिया था.
केंद्र सरकार का कहना है कि मार्केट रेगुलेटर जैसी वैधानिक बॉडी पूरी तरह से सक्षम हैं और अपना काम कर रही है, केंद्र सरकार ने आशंका जताई थी कि निवेशकों के लिए कोई भी ऐसा संदेश जिससे ये लगे कि रेगुलेटरी बॉडी की निगरानी के लिए एक पैनल से कराने की जरूरत है, देश में निवेश के प्रवाह पर असर डाल सकता है.
इधर, मार्केट रेगुलेटर SEBI ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने नोट में इस बात का संकेत दिया था कि वो शॉर्ट-सेलिंग या उधार लिए गए शेयरों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है और कहा कि वह अदाणी ग्रुप के खिलाफ एक छोटे शॉर्ट-सेलर की ओर से लगाए गए आरोपों और उसके शेयरों के मूवमेंट की जांच कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला जिन 4 जनहित याचिकाएं (PILs) पर आया है, वो एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल एक्टिविस्ट मुकेश कुमार ने दाखिल की थीं.