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जी-सोनी मर्जर में नया पेंच, एक्सिस फाइनेंस पहुंचा NCLAT, कहा- ये गैरकानूनी है

याचिका में कहा गया कि NCLT ने उनकी एप्लीकेशन को रद्द करते हुए कोई कारण नहीं बताया, जिसके चलते इस फैसले को बदला जा सकता है
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:37 PM IST, 18 Sep 2023NDTV Profit हिंदी
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NCLT से हरी झंडी मिलने के बावजूद, जी-सोनी का मर्जर एक बार फिर अटकता दिख रहा है. एक्सिस फाइनेंस (Axis Finance) ने जी-सोनी मर्जर (Zee-Sony Merger) में NCLT की मुंबई बेंच द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दिल्ली में नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में याचिका लगाई है.

एक्सिस फाइनेंस ने अपनी याचिका में कहा- 'जी-सोनी मर्जर को NCLT अवैधानिक, अनुचित और अन्यायपूर्ण बताने में नाकामयाब रही, जबकि मर्जर को अनुमति देने वाला आदेश पुनीत गोयनका के खिलाफ SEBI के आदेश का उल्लंघन था.

एक्सिस फाइनेंस द्वारा दायर की गई याचिका को BQ प्राइम ने देखा है, इसके मुताबिक NCLT ने मर्जर स्कीम के एक अहम हिस्से पर विचार नहीं किया, जिसके तहत मर्ज एंटिटी के CEO और मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर पुनीत गोयनका की नियुक्ति किया जाना था.

इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि SEBI ने पुनीत गोयनका को किसी भी नियुक्ति लेने के लिए अयोग्य करार दिया है. मर्जर स्कीम को इस मुद्दे को सुलझाए बिना इजाजत नहीं दी जा सकती है.

याचिका के मुताबिक, 'NCLT ने ये नहीं सोचा कि अगर स्कीम को एक बार अनुमति दे दी जाती है, तो इसके एक अहम हिस्से में बदलाव नहीं किया जा सकता.

याचिका में कहा गया कि NCLT ने उनकी एप्लीकेशन को रद्द करते हुए कोई कारण नहीं बताया, जिसके चलते इस फैसले को बदला जा सकता है. लोन एग्रीमेंट और बैंक स्टेटमेंट के मुताबिक गोयनका की कंपनियों ने आवेदक से पैसा उधार लिया था.

एक्सिस फाइनेंस ने कहा कि गोयनका कंपनियों को जारी किए गए लेटर से ये साफ हो जाता है कि इन कंपनियों ने कर्जों को चुकाने में डिफॉल्ट किया है. एक्सिस फाइनेंस के मुताबिक उसका Cyquator पर 61 करोड़ रुपये और Primat पर 82 करोड़ रुपये का कर्ज है.

मर्जर स्कीम की डिजाइनिंग लेंडर्स को भ्रम में रखने की कोशिश- एक्सिस फाइनेंस

फाइलिंग में लगाए गए एक और आरोप के मुताबिक Zee ने Cyquator के एक्शन से सुरक्षित रहने और लोन के रिपेमेंट से बचने के लिए कंपनियों की कई लेयर्स बनाईं और मर्जर स्कीम की डिजाइनिंग लेंडर्स और पब्लिक शेयरहोल्डर्स को भ्रम में रखने की कोशिश है.

एक्सिस फाइनेंस ने कहा कि जी एंटरटेनमेंट के शेयरहोल्डर्स को नई एंटिटी में 48% हिस्सेदारी मिलेगी. ये ZEEL में उनकी जितनी हिस्सेदारी थी, उससे कम है. प्रोमोटर ग्रुप का स्वामित्व भी 4% से घटकर 2% होना चाहिए. लेकिन प्रोमोटर्स नई एंटिटी में अपनी 4% हिस्सेदारी बरकरार रखना चाहते हैं. ऐसा करने के लिए उन्होंने नॉन कंपीट पेमेंट मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया.

एक्सिस फाइनेंस के अलावा IDBI बैंक लिमिटेड ने भी NCLT एप्रूव्ड मर्जर के खिलाफ अपील दायर की है.

जी-सोनी मर्जर को मिली थी NCLT से अनुमति

बता दें इस साल अगस्त में सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए NCLT ने जी-सोनी मर्जर को अनुमति दे दी थी. ट्रिब्यूनल 10 जुलाई से मामले की सुनवाई कर रहा था.

याचिका में कहा गया कि NCLT ने उनकी एप्लीकेशन को रद्द करते हुए कोई कारण नहीं बताया, जिसके चलते इस फैसले को बदला जा सकता है. लोन एग्रीमेंट और बैंक स्टेटमेंट के मुताबिक गोयनका की कंपनियों ने आवेदक से पैसा उधार लिया था.

लेकिन इस मर्जर को एस्सेल ग्रुप के क्रेडिटर्स के चलते दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. इन क्रेडिटर्स में एक्सिस फाइनेंस, JC फ्लॉवर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, IDBI बैंक लिमिटेड, IDBI ट्रस्टीशिप और Imax Corp शामिल हैं.

इस विवाद में मुख्य मुद्दा योजना में नॉन कंपीट क्लॉज था. इसमें कहा गया है कि एस्सेल ग्रुप की कंपनी एस्सेल मॉरीशस को सोनी ग्रुप की कंपनी SPE मॉरीशस से नॉन कंपीट फीस के रूप में 1,100 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिसके बदले में सुभाष चंद्रा बनने वाली इकाई के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करने पर सहमत होंगे.

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