डाबर (Dabur India Ltd.) ने अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही कई कैटेगरीज से बाहर निकलने का फैसला किया है. इसमें वैदिक चाय, डायपर, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, सैनिटाइजर जैसी कैटेगरीज शामिल हैं. साथ ही डाबर अपने माल्टेड फूड ड्रिंक्स ब्रैंड वीटा को भी बंद करेगी.
डाबर ने कंसल्टिंग फर्म मैकेंजी (McKinsey) के साथ मिलकर अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का रिव्यू किया, जिसका मकसद मुनाफा बढ़ाना और उन कैटेगरीज में पूंजी का आवंटन करना, जिनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद हो. FMCG कंपनी का लक्ष्य वित्तवर्ष 2028 तक रेवेन्यू और प्रॉफिट में डबल डिजिट ग्रोथ को हासिल करना है.
डाबर इंडिया के CEO मोहित मल्होत्रा ने कंपनी के नतीजों के बाद कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान एनालिस्ट्स से कहा, 'हम जिन कैटेगरीज से बाहर निकलेंगे उनमें चाय, वयस्क और शिशु डायपर, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, सैनिटाइजिग और वीटा कैटेगरीज शामिल हैं. ये हमारे लिए मार्जिन-कम करने वाली रही हैं.'
ये कैटेगरीज कुल मिलाकर रेवेन्यू में 1% से भी कम का योगदान देती हैं. मल्होत्रा ने कहा कि इसलिए हम इन कैटेगरीज से बाहर निकलकर उन बड़े बोल्ड इक्विटी पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिन्हें हमने पहचाना है, और कोर पोर्टफोलियो वो है, जहां हम निवेश करेंगे.' उन्होंने कहा 'इसके अलावा, कंपनी भविष्य के अनुकूल पोर्टफोलियो बनाने के लिए "आक्रामक रूप से" विलय और अधिग्रहण करेगी, जो नई पीढ़ी के साथ मेल खाता है. खासतौर पर नए युग की हेल्थकेयर, वेलनेस फूड और प्रीमियम पर्सनल केयर पर केंद्रित है.'
पैकेज्ड फूड बनाने वाली डाबर ने विकास को गति देने के लिए सात सूत्री एजेंडा तैयार किया है. पोर्टफोलियो में सुधार और विलय और अधिग्रहण के अलावा, इसमें मुख्य ब्रैंड्स में निरंतर निवेश, सभी कैटेगरीज में प्रीमियमीकरण, स्वास्थ्य और वेलनेस क्षेत्रों में साहसिक दांव, लागत बचाने के लिए महानगरों में डिस्ट्रीब्यूटर्स का कंसोलिडेशन और साथ ही क्विक कॉमर्स और मॉडर्न ट्रेड जैसे उभरते चैनलों पर दोगुना जोर देना और साथ ही रिफाइनिंग ऑपरेटिंग मॉडल, जिसमें लागत घटाना, दक्षता बढ़ाना और वैल्यू चेन में डिजिटलीकरण शामिल है.
मल्होत्रा ने कहा कि अगर हम पिछले चार से पांच सालों पर नजर डालें, तो हमने आम तौर पर बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने और हर एक कैटेगरी में अपने बिजनेस को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन प्रीमियमाइजेशन पर कम ध्यान दिया गया और ये एक जानबूझकर किया गया प्रयास था क्योंकि हम डाबर आंवला को फिर से विकास के रास्ते पर लाना चाहते थे और बाजार हिस्सेदारी हासिल करना चाहते थे.
उन्होंने कहा कि अब जब हमने च्यवनप्राश, शहद, आंवला, होमकेयर, स्किनकेयर में बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली है, तो यह प्रीमियमाइजेशन की ओर 2.0 यात्रा शुरू करने का समय है. डाबर अपने हेयर केयर पोर्टफोलियो में सीरम, कंडीशनर, शैंपू, और मास्क, प्रॉफिट-बेस्ड टूथपेस्ट और गमीज, पाउडर, और हेल्थकेयर में इफर्वेसेंट जैसे उत्पादों के साथ अपनी श्रेणियों को प्रीमियम बनाएगा.
डाबर अब क्विक कॉमर्स पर दोगुना जोर देगी, साथ ही स्टॉकिस्टों को मजबूत करेगी और शहरी सामान्य व्यापार में लागत कम करेगी. CEO मल्होत्रा ने कहा 'हम स्टॉकिस्टों के कंसोलिडेशन पर ध्यान देंगे ताकि बेहतर रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट मिले, शहरी सामान्य व्यापार चैनल में सेवा लागत कम हो और डिजिटल टूल्स का बेहतर इस्तेमाल करके उत्पादन बढ़ाया जाए.'
मल्होत्रा ने बताया कि डाबर के पास सात ऐसे ब्रैंड हैं, जिनका कारोबार लगभग 500 करोड़ रुपये है और ये इसके पोर्टफोलियो में 70% से ज्यादा का योगदान देते हैं, जिनमें डाबर रेड, रियल, च्यवनप्राश और वाटिका शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हम इन ब्रैंड्स को असमान्य निवेश, बाजार में पैठ बढ़ाने और बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के जरिए और बड़ा करेंगे.
इसके अलावा, डाबर अपनी हाजमोला फ्रेंचाइजी और हेल्थ जूस को बढ़ाएगी, साथ ही मौजूदा और नए उत्पादों के जरिए गट हेल्थ, हृदय स्वास्थ्य, तनाव और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट जैसे उभरती जरूरतों के अंतर को टारगेट करेगी.