रिलायंस इंडस्ट्रीज से डिजिटल फिनटेक कारोबार (Jio Financial Services) को अलग करने से शायद ही कंपनी के लिए कोई खास वैल्यू अनलॉक होगी. ये जरूर है कि इससे RIL के शेयरधारकों को तेजी से बढ़ रही फिनटेक इंडस्ट्री में एक्सपोजर जरूर मिलेगा. इस डीमर्जर से शेयरधारकों का फायदा होने की संभावना है.
इस सवाल का जवाब रिलायंस (Reliance) के डायवर्सिफाइड शेयरहोल्डर बेस में छिपा है. आपको बता दें कि RIL इस वक्त सबसे बड़े शेयरहोल्डर बेस वाली कंपनी नहीं है. ये जगह अब 48.13 लाख शेयरहोल्डर्स के साथ यस बैंक ने ले ली है. हालांकि रिलायंस के पास भी 32.6 लाख शेयरहोल्डर्स हैं. इसी गणित से ये फैसला निकला कि जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के भी उतने ही शेयरहोल्डर्स बना लिए जाएं जितने रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास हैं.
रिलायंस अपने शेयरधारकों को बोनस शेयरों के माध्यम से रिवॉर्ड करने के लिए जानी जाती है. कंपनी कई बार अपनी AGM मीटिंग के दौरान इस फैसले की घोषणा करती है. जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए शेयर स्वैप रेश्यो पर कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजेज को जो जानकारी दी है, उसमें डायवर्सिफाइड रिटेल शेयरहोल्डर बेस का ही हवाला दिया है.
अगर शेयरों के बंटवारे का रेश्यो जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के मौजूदा नेटवर्थ से निकाला जाए तो ये रेश्यो 16:1 का होता. इसका मतलब कि RIL के 16 शेयरों के बदले जियो फाइनेंशियल सर्विसेज का 1 शेयर मिलता. कंपनी के मुताबिक फाइनल रेश्यो तक पहुंचने के पहले कई बातें ध्यान में रखी गईं.
कंपनी ये नहीं चाहती थी कि सब्सिडियरी कंपनी की पेड-अप इक्विटी, अपनी पेरेंट कंपनी से ज्यादा हो जाए.
RIL के 14.34 लाख से ज्यादा शेयरहोल्डर्स के पास 15 या उससे कम इक्विटी शेयर हैं. इन सभी शेयरहोल्डर्स को फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस में कोई शेयर नहीं मिलता और वो इससे वंचित रह जाते, जो छोटे शेयरधारकों के हितों के खिलाफ है.
75.10% शेयरहोल्डर्स ऐसे हैं जिनके पास अधिकतम 100 शेयर हैं.
अगर 16:1 के रेश्यो को अपनाया जाता तो जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के कुल 42.29 करोड़ ही शेयर होते. ऐसा होने से कंपनी का शेयर प्राइस काफी ज्यादा हो जाता और छोटे निवेशकों के लिए इसमें निवेश करना या ट्रेड करना मुश्किल हो जाता. इन बातों का ख्याल रखते हुए बोर्ड ने मिरर शेयरहोल्डिंग को चुना और 1:1 के शेयर-स्वैप का ऐलान किया
RIL के सभी शेयरहोल्डर्स को जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर मिलेंगे.
1:1 का रेश्यो छोटे शेयरधारकों को लिए अच्छा है और वो इसका फायदा न मिलने की शिकायत नहीं करेंगे.
इस रेश्यो की वजह से फ्रैक्शनल शेयर की कोई मांग नहीं आएगी
छोटे शेयरधारकों के लिए इस शेयर स्वैप को समझना आसान होगा.