धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट (Dharavi Redevelopment Project Pvt.) का नाम बदलकर अब नवभारत मेगा डेवलपर्स (Navbharat Mega Developers Pvt.) कर दिया गया है. धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट, महाराष्ट्र सरकार और अदाणी ग्रुप के बीच धारावी के पुनर्विकास के लिए एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) है.
इसे लेकर एक प्रेस रिलीज जारी की गई है, जिसमें इसकी रीब्रैंडिंग के बारे में बताया गया है. इस कदम का मकसद 'उसी जगह पर सरकारी प्राधिकरण के लिए गलती से बचना है, जो कि DRP (धारावी पुनर्विकास प्राधिकरण) है, जो धारावी के पुनर्विकास के लिए काम कर रही महाराष्ट्र सरकार की स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी है.
प्रेस रिलीज ने साफ किया है कि खासतौर पर धारावी के पुनर्विकास की परियोजना में महाराष्ट्र सरकार की भूमिका में कोई बदलाव नहीं हुआ है और DRP महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए सुपरवाइजिंग अथॉरिटी बनी हुई है. रिलीज में बताया गया है कि नवभारत मेगा डेवलपर्स के नए नाम को संस्था के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है.
कंपनी ने बताया है कि 'नवभारत' नाम, जिसका मतलब है 'नया भारत', बेहतर कल को आकार देने में इस प्रोजेक्ट की व्यापक क्षमता को दर्शाता है.'मेगा' काम के व्यापक पैमाने और प्रभाव की बताता है, जबकि 'डेवलपर्स' भूमिका की ओर इशारा करता है. कंपनी का इरादा एक संपन्न कम्यूनिटी के निर्माण में भूमिका निभाने का है.
ध्यान देने वाली बात है कि नवभारत मेगा डेवलपर्स की स्थापना अदाणी ग्रुप की ओर से धारावी की 259 हेक्टेयर पुनर्विकास परियोजना के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में उभरने के बाद की गई थी. ग्रुप ने 2022 की टेंडर प्रक्रिया में 5,069 करोड़ रुपये के ऑफर के साथ इस प्रोजेक्ट को जीता था.
रीब्रैंडिंग का ऐलान डेवलपर के उस फैसले के कुछ दिनों के बाद किया गया है, जिसमें धारावी पुनर्विकास परियोजना के लाभार्थियों को पहले 10 वर्षों के लिए मेनटेनेंस चार्ज नहीं देना होगा.
एक आसान ट्रांजीशन के लिए धारावीनिवासियों को पहले 10 वर्षों के लिए इलेक्ट्रोमैकेनिकल मेनटेनेंस चार्ज नहीं देना होगा. मंगलवार को जारी एक मोशन पिक्चर में बताया गया है कि इस अवधि के दौरान डेवलपर इन सोसायटीज की पूरी जिम्मेदारी लेगा.
इस प्रोजेक्ट के तहत महाराष्ट्र सरकार ने धारावी के पात्र निवासियों को मुफ्त आवास देने का फैसला किया है, इसके अलावा, राज्य सरकार अपात्र निवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत या किराया-खरीद योजना के जरिए किफायती आवास की पेशकश करेगी. साथ ही, राज्य सरकार ने एक रेवन्यू-जेनरेटिंग मॉडल बनाते हुए, कमर्शियल स्पेस के लिए पुनर्वास कंपोनेंट के बिल्ट अप एरिया का 10% आवंटित करने की योजना बनाई है.