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127 साल पुराना एक बिजनेस घराना और मुंबई के विक्रोली में जमीन का विशाल टुकड़ा, पढ़ें बंटवारे की कहानी

ये जमीन 1830 में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से एक पारसी मर्चेंट को एलोकेट की गई थी. वर्ल्ड वॉर -2 के वक्त इस जमीन की बिक्री हुई तो गोदरेज ग्रुप ने इसे खरीदा.
NDTV Profit हिंदीविकास कुमार
NDTV Profit हिंदी08:23 PM IST, 02 May 2024NDTV Profit हिंदी
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देश की आजादी के पहले का एक बिजनेस घराना- गोदरेज ग्रुप. जिसने आजाद भारत के अबतक के सफर को देखा. 127 साल पुराने इस दिग्गज इंडस्ट्रियल ग्रुप का बंटवारा हो गया है. गोदरेज ग्रुप को 2 हिस्सों में बांटने पर सहमति बन गई है. आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर गोदरेज को पांचों लिस्टेड कंपनियों का नियंत्रण मिला है, ये कंपनियां कंज्यूमर गुड्स, रियल एस्टेट, एग्रीकल्चर, केमिकल्स और फूड रिटेल बिजनेस से जुड़ी हैं. इन पांचों लिस्टेड कंपनियों की वैल्यू 2.40 लाख करोड़ रुपये है.

चचेरे भाई जमशेद और स्मिता को नॉन-लिस्टेड गोदरेज एंड बॉयस (Godrej & Boyce Manufacturing) के साथ-साथ उसकी सहयोगी कंपनियां और एक विशाल लैंड बैंक मिलेगा. मुंबई के सब-अर्ब्स में आता है विख्रोली. मुंबई को जानने और समझने वाले ये जानते हैं कि विक्रोली, प्रॉपर्टी मार्केट के लिहाज से हॉट लोकेशन है. इसी विक्रोली में है गोदरेज ग्रुप का 3400 एकड़ का बड़ा सा लैंड पार्सल. ऐसे वक्त में जब मुंबई में जमीन का छोटा टुकड़ा भी बड़ी वैल्यू रखता है...ये 3400 एकड़ का लैंड काफी अहम है.

अबतक इस जमीन के विशाल हिस्से को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. ये जमीन किसके हिस्से आएगी, इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं थी. इस बंटवारे में ये तो साफ हो गया है कि अब ये जमीन गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग के हिस्से आएगी और लैंड डेवलपमेंट का काम गोदरेज प्रॉपर्टीज करेगी. दिग्गज ब्रोकरेज फर्म CLSA ने अपने नोट में कहा है कि बंटवारे में आई इस क्लैरिटी से ग्रुप की कंपनियों के बीच क्रॉस होल्डिंग का जो संशय था वो खत्म हो गया.

गोदरेज ग्रुप के पास कैसे आई जमीन?

जमीन का ये बड़ा टुकड़ा गोदरेज ग्रुप के पास 1940 से है. इसके पहले ये जमीन 1830 में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से एक पारसी मर्चेंट को एलोकेट की गई थी. वर्ल्ड वॉर -2 के वक्त इस जमीन की बिक्री हुई तो गोदरेज ग्रुप ने इसे खरीदा. इसके बाद गोदरेज ग्रुप ने आसपास के करीब 200 लैंडओनर्स से भी जमीनें खरीदीं और इस तरह ये जमीन कुल 3400 एकड़ पर पहुंच गई.

कितनी है जमीन की कीमत?

ये समझना जरूरी है कि आखिर ये जमीन इतनी अहम क्यों है. इस 3400 एकड़ में से काफी बड़ा हिस्सा मैनग्रोव (Ecologically Sensitive Mangroves) है. जो हिस्सा डेवलप किया जा सकता है वो करीब 1000 एकड़ ही है. इस 1000 एकड़ के हिस्सा की डेवलपमेंट के हिसाब से वैल्यू बैठती है करीब 4.35 लाख करोड़. यानी गोदरेज ग्रुप की पांचों लिस्टेड कंपनियों के इकट्ठे मार्केट वैल्यू से भी करीब दोगुना. अब आप समझ गए होंगे की जमीन के इस हिस्से की इतनी चर्चा क्यों है.

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