मध्य प्रदेश के कटनी जिले के सुदूर गांव भैसवाही की 22 वर्षीय निशा दहिया को आर्थिक तंगी के चलते पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी. ऐसे में अदाणी फाउंडेशन ने उसका हाथ थामा. अदाणी स्किल डेवलपमेंट सेंटर (ASDC) में ट्रेनिंग के बाद आज वो अपने पैरों पर खड़ी हैं. कटनी के डिठवारा की स्वाति पटेल और उनकी बहन प्रियंका की भी कुछ ऐसी ही कहानी है.
दरअसल, अदाणी पोर्टफोलियो की सीमेंट और निर्माण सामग्री कंपनी ACC, स्किल डेवलपमेंट इनिशिएटिव्स के जरिये युवा महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
अदाणी फाउंडेशन के साथ मिलकर ACC युवाओं को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करके ग्रामीण समुदायों में बदलाव ला रही है, जो किसी कारणवश इन अवसरों से दूर रह जाते हैं.
बदलाव की ऐसी ही कई कहानियों में से दो कहानियां ACC कैमोर में अदाणी कौशल विकास केंद्र (ASDC) से भी सामने आई हैं, जिनके बारे में आपने ऊपर पढ़ा.
निशा दहिया और स्वाति पटेल समेत ASDC उम्मीदवारों ने वित्तीय कठिनाइयों को दूर किया है, स्थिर रोजगार हासिल किया है और अब अपने समुदायों के लिए रोल मॉडल हैं.
निशा दहिया को जब पैसों की कमी के चलते अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी तो सौभाग्य से, उन्हें कैमोर में अदाणी कौशल विकास केंद्र में वेयरहाउस पैकर कोर्स करने का अवसर मिला. इसे पूरा करने के बाद उन्हें गुजरात के साणंद में अमेजॉन इंडिया में वेयरहाउस एग्जीक्यूटिव के रूप में नौकरी मिली. यहां उन्हें हर महीने करीब 18,000 रुपये सैलरी मिलती है.
इसी तरह, कटनी के डिठवारा की स्वाति पटेल ने भी यही कोर्स पूरा किया और याजाकी इंडिया में 13,500 रुपये की सैलरी पर नौकरी हासिल की. स्वाति की बहन प्रियंका ने इसी केंद्र में ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग ली और अब अपना खुद का पार्लर चलाती हैं.
ACC और अदाणी फाउंडेशन युवाओं को कुशल पेशेवरों में बदलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए माहौल बनाने के लिए समर्पित हैं. ASDC में उनका समय उन्हें अपने भविष्य को सुरक्षित करने और अपने परिवारों के लिए बेहतर जीवन बनाने के लिए तैयार करता है.