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अदाणी विवाद से भारतीय बैंकों का जोखिम बहुत सीमित: फिच रेटिंग्स

फिच का मानना ​​​​है कि सभी अदाणी समूह संस्थाओं को कर्ज आमतौर पर फिच-रेटेड भारतीय बैंकों के लिए कुल कर्ज का 0.8% -1.2% है, जो कुल इक्विटी के 7% -13% के बराबर है.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी03:23 PM IST, 07 Feb 2023NDTV Profit हिंदी
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अदाणी ग्रुप (Adani Group) में भारतीय बैंकों का एक्सपोजर इतना ज्यादा नहीं है कि जिससे इन बैंकों के क्रेडिट प्रोफाइल पर कोई बड़ा खतरा हो, फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) की ओर से ये कहा गया है.

क्या कहती है फिच की रिपोर्ट

3 फरवरी को फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट के ऊपर विवाद से अदाणी ग्रुप की कंपनियों और सिक्योरिटीज की रेटिंग पर कोई असर नहीं पडे़गा.

आज जारी रिपोर्ट में फिच ने कहा कि 'यहां तक ​​कि एक काल्पनिक परिदृश्य में व्यापक अदाणी ग्रुप संकट में है, भारतीय बैंकों के लिए एक्सपोजर अपने आप में बैंकों की व्यवहार्यता रेटिंग पर बिना किसी बुरे असर के मैनेज किए जा सकते हैं.

फिच का मानना ​​​​है कि सभी अदाणी समूह संस्थाओं को कर्ज आमतौर पर फिच-रेटेड भारतीय बैंकों के लिए कुल कर्ज का 0.8% -1.2% है, जो कुल इक्विटी के 7% -13% के बराबर है.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ICICI बैंक, एक्सिस बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडियास बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक वो भारतीय बैंक हैं जिन्हें फिच की रेटिंग मिली हुई है.

एक जोखिम है कि अगर विदेशी बैंक अपने एक्सपोजर को कम करते हैं या वैश्विक बाजारों में ग्रुप के कर्ज के लिए निवेशकों की मांग कमजोर होती है, तो अदाणी कंपनियों को रीफाइनेंस करने के लिए सरकारी बैंकों को दबाव का सामना करना पड़ सकता है.

फिच के मुताबिक, अदाणी ग्रुप के लिए भारतीय बैंकों का नॉन फंड बेस्ड एक्सपोजर - बॉन्ड या इक्विटी के जरिए, कर्ज के एक्सपोजर के मुकाबले कम होने का अनुमान है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ये विवाद दूसरे भारतीय कॉरपोरेट्स के लिए वित्तीय चुनौतियों को बढ़ाता है, और बैंकों पर कर्ज के लिए निर्भरता बढ़ती है, तो इसका असर कई गुना बढ़ सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, अगर ग्रुप की दिक्कतों का निगेटिव असर बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट सेक्टर पर पड़ता है या भारतीय कंपनियों के लिए पूंजी की लागत में काफी बढ़ोतरी होती है यानी कर्ज महंगा होता है तो देश की मध्यम अवधि के आर्थिक विकास को भी चोट लग सकती है.

कुल मिलाकर फिच का कहना है कि वर्तमान में अदाणी विवाद का प्रभाव सीमित रहेगा.

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