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इंफोसिस में फ्रेशर्स की हायरिंग में देरी पर विवाद गहराया, NITES ने की सरकार से हस्तक्षेप की मांग

इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को 2022-23 कैंपस भर्ती के दौरान इंफोसिस में सिस्टम इंजीनियर (SE) और डिजिटल इंजीनियर (DSE) के लिए चुना गया था.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी07:40 PM IST, 20 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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IT कर्मचारी संघ NITES यानी नेसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट ने इंफोसिस में फ्रेशर्स की भर्ती में हो रही देरी पर सरकार के हस्तक्षेप की मांग की है. ये देरी कुछ महीनों की नहीं बल्कि पिछले एक साल से हो रही है.

NITES ने श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) को लिखे पत्र में कहा है कि उसे इंजीनियरिंग ग्रेजुएट से कई शिकायतें मिली हैं, जिन्हें इंफोसिस ने गैर-पेशेवर तरीके का शिकार बनाया है.

क्या है पूरा मामला?

यूनियन ने बताया कि इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स को 2022-23 कैंपस भर्ती के दौरान इंफोसिस में सिस्टम इंजीनियर (SE) और डिजिटल इंजीनियर (DSE) के लिए चुना गया था. ऑफर लेटर 22 अप्रैल, 2022 की शुरुआत में जारी किए गए थे, फिर भी भर्ती में लगभग दो साल की देरी हुई है.

इसके अलावा, लंबे समय तक देरी के बाद, ग्रेजुएट्स को 1 जुलाई से 24 जुलाई 2024 तक एक अवैतनिक प्री-ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने के लिए कहा गया था, जिसमें HR टीम से आश्वासन दिया गया था कि उनकी ज्वाइनिंग 19 अगस्त या 2 सितंबर, 2024 तक हो जाएगी. प्री-ट्रेनिंग पूरा करने के बावजूद कंपनी ने वादा पूरा नहीं किया है. ज्वाइनिंग डेट बताने के बजाय इन ग्रेजुएट्स को एक बार फिर से ऑफलाइन प्री-ट्रेनिंग परीक्षा देने को कहा गया है.

यूनियन का क्या है कहना

यूनियन की मांग है कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय (Ministry of Labour and Employment) इंफोसिस के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई करे. "सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि इंफोसिस जैसी कंपनियों को उनके कार्यो के लिए जवाबदेह ठहराया जाए और वे अपनी भर्ती और भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाए और भर्ती नियमों का पालन करना चाहिए.

यूनियन ने लिखा, 'ये जरूरी है कि मंत्रालय इन युवा ग्रेजुएट्स को और नुकसान से बचाने के लिए हस्तक्षेप करे और भारत में सभी कंपनियों को एक मजबूत संदेश भेजे कि इस तरह की घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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