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Lodha Vs Lodha: ब्रैंड नाम को लेकर दो भाई आमने-सामने! कौन सच्चा-कौन झूठा?

लोढ़ा Vs लोढ़ा केस अब ऐसे दूसरे हाई-प्रोफाइल मामलों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां कॉरपोरेट घराने अपने-अपने ग्रुप की संपत्ति पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
NDTV Profit हिंदीचारू सिंह
NDTV Profit हिंदी04:11 PM IST, 22 Jan 2025NDTV Profit हिंदी
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किर्लोस्कर और कल्याणी परिवार विवाद के बाद, एक नया पारिवारिक विवाद सामने है और वो है लोढ़ा बंधुओं (Lodha Brothers) के बीच. अभिषेक लोढ़ा की अगुवाई में मैक्रोटेक डेवलपर्स (Macrotech Developers) ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक केस दाखिल कर दिया, जिससे अब ये मामला खुल चुका है. इसमें अभिनंदन हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा (HoABL) को किसी भी रूप में 'लोढ़ा' ब्रैंड नाम का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित करने की मांग की गई है.

क्या है मामला?

दशकों से लोढ़ा ब्रैंड के तहत काम कर रहे मैक्रोटेक डेवलपर्स का दावा है कि HoABL की ओर से नाम का इस्तेमाल करना भ्रामक है और कंपनी के ट्रेडमार्क अधिकारों का उल्लंघन करता है. मैक्रोटेक का मामला ये है कि एक ही ब्रैंड नाम के इस्तेमाल से रियल एस्टेट बाजार में ग्राहकों के बीच भ्रम पैदा हो रहा है. इसके अलावा, मैक्रोटेक ने समान ब्रैंड नाम का इस्तेमाल करने से HoABL को हुए नुकसान के लिए 5,000 करोड़ रुपये का मुआवजा भी मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट के वकील तुषार कुमार कहते हैं, 'लोढ़ा' एक ट्रेडमार्क के रूप में योग्य हो सकता है, अगर इसे लॉन्ग टर्म ब्रांडिंग और निवेश के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में व्यापक रूप से मान्यता हासिल है. उन्होंने कहा - हालांकि, ट्रेडमार्क कानून जनता के हित पर भी विचार करता है, जो आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले सरनेम के एकाधिकार को रोकता है, जब तक कि वे विशिष्टता मानदंडों को पूरा नहीं करते.

हालांकि, मंगलवार को मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की सिंगल जज बेंच ने पाया कि 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान उसके आर्थिक अधिकार क्षेत्र से परे है. इसीलिए मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को एक अलग पीठ करेगी.

लोढ़ा Vs लोढ़ा केस अब ऐसे दूसरे हाई-प्रोफाइल मामलों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां कॉरपोरेट घराने अपने-अपने ग्रुप की संपत्ति पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

किर्लोस्कर इंडस्ट्रीज, जिसे दो भाई अतुल और राहुल किर्लोस्कर चलाते हैं, एक ऐसा ही मामला है. कंपनी के पास किर्लोस्कर ब्रदर्स की 23.91% हिस्सेदारी है, जिसका स्वामित्व मुख्य रूप से संजय किर्लोस्कर के पास है. इसके अलावा, अतुल किर्लोस्कर के पास 0.59% हिस्सेदारी है, जबकि राहुल किर्लोस्कर के पास किर्लोस्कर ब्रदर्स में 0.51% हिस्सेदारी है.

ये लड़ाई शुरू हुई 2017 में, जब अतुल और राहुल किर्लोस्कर ने NCLT में एक याचिका दायर की, जिसमें संजय किर्लोस्कर पर "उत्पीड़न और कुप्रबंधन" का आरोप लगाया गया. उन्होंने संजय को कंपनी से हटाने की भी मांग की.

दूसरी ओर, कल्याणी विवाद की कहानी, लिस्टेड कंपनी Hikal Ltd के नियंत्रण के आसपास घूमती है.

1993 में, भारत फोर्ज के मौजूदा चेयरमैन बाबा कल्याणी, अपने पिता नीलकंठ कल्याणी के साथ एक पारिवारिक समझौते पर पहुंचे. समझौते में जिक्र किया गया था कि Hikal के शेयर, जो कल्याणी ग्रुप से नियंत्रित हैं, बाबा की बहन के परिवार को मिलेंगे. इस बीच, बाबा कल्याणी की मां सुलोचना कल्याणी की संपत्ति का हिस्सा सबसे छोटे बेटे गौरीशंकर कल्याणी को मिलेगा.

बाबा कल्याणी और उनके पिता, नीलकंठ के बीच 1994 के समझौते ने आगे दोहराया कि Hikal के शेयर हिरेमठ - बाबा कल्याणी की बहन के परिवार को मिलेंगे. इसके अलावा समझौते में ये भी कहा गया कि बाबा को कल्याणी समूह का नियंत्रण विरासत में मिलेगा. हालांकि, इन दोनों 1993 और 1994 के समझौतों को नकारने के कारण परिवार विवादों के भंवर में फंस चुका है.

लोढ़ा के लिए लड़ाई और नतीजे

2017 में लोढ़ा ब्रदर्स बंधुओं के बीच एक पारिवारिक समझौते को अंतिम रूप दिया गया. NDTV प्रॉफिट ने हाई कोर्ट में दी गई याचिका की समीक्षा की है, जिसके मुताबिक जिम्मेदारियों और व्यवसायों को उनके बीच बांटा गया था और प्रमुख शर्तें ये थीं कि अभिषेक लोढ़ा, लोढ़ा ग्रुप के कोर रियल एस्टेट बिजनेस पर नियंत्रण बनाए रखेंगे, जबकि अभिनंदन लोढ़ा को एक अलग बिजनेस का मैनेजमेंट करना था.

हालांकि, 2017 के समझौते की शर्तों का पालन नहीं करने के आरोपों के कारण ये मुद्दा फिर से सुलग उठा, फाइलिंग के अनुसार एक नया 2023 समझौता किया गया. इस समझौते में अभिनंदन के बिजनेस को 'लोढ़ा' नाम के किसी भी तरह से इस्तेमाल करने से साफ साफ प्रतिबंधित कर दिया गया था.

इसके बावजूद, मैक्रोटेक डेवलपर्स का दावा है कि HoABL ने 'लोढ़ा वेंचर्स' नाम के साथ-साथ ब्रैंड से जुड़े अन्य डोमेन नामों का इस्तेमाल करना जारी रखा है, जिसके कारण कानूनी कार्रवाई की गई है.

इसके अलावा, याचिका में दावा किया गया है कि ये स्पष्ट करना जरूरी है कि अभिनंदन कंपनी के 40 साल के इतिहास में केवल 12 साल तक ही कंपनी से जुड़े थे. जब उन्हें छोड़ने के लिए कहा गया, तो लोढ़ा समूह पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसका मुख्य कारण वित्त विभाग में मिसमैनेजमेंट, जिसके लिए वो उस समय जिम्मेदार थे.

2015 और 2020 के बीच, लोढ़ा समूह इस भारी कर्ज के कारण करीब करीब चरमरा ही गई थी. याचिका में दावा किया गया है कि कंपनी अपने संस्थापक, लीडरशिप टीम और प्रोफेनल्स के तेज नेतृत्व और कड़ी मेहनत के कारण ही दोबारा संभल पाई.

मैक्रोटेक का मानना ​​है कि अभिनंदन लोढ़ा समूह की सद्भावना और ब्रैंड पावर का इस्तेमाल करने की कोशिशों में भी शामिल थे. याचिका में कहा गया है कि वे ये झूठा सुझाव देकर जनता और उपभोक्ताओं को धोखा देने का प्रयास कर रहे हैं कि उनका लोढ़ा समूह के साथ घनिष्ठ संबंध है, जिसका मतलब है कि वे ब्रैंड की विश्वसनीयता और क्षमताओं की अगुवाई करते हैं.

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