अदाणी ग्रुप को लेकर UK की मीडिया हाउस 'फाइनेंशियल टाइम्स' की रिपोर्ट, इंडियन इकोनाॅमी को कमजोर करने की साजिश थी. ये कहना है सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani) का. NDTV के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि ये रिपोर्ट, हमारी इकोनॉमी को डिस्टर्ब करने और इसमें अस्थिरता लाने की कोशिश है. बता दें कि FT ने ये रिपोर्ट जॉर्ज सोरोस-समर्थित OCCRP के हवाले से छापी थी, जिसे खारिज किया जा चुका है.
वहीं दूसरी ओर, एरिन कैपिटल के चेयरमैन TV मोहनदास पई ने इसे अदाणी ग्रुप के बहाने मोदी सरकार पर हमला बताया और इसके पीछे उन्होंने जॉर्ज सोरोस के दावोस में दिए गए सार्वजनिक बयान की भी चर्चा की.
जेठमलानी ने कहा, 'अदाणी ग्रुप को एक बेहद सीरियस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से क्लीन चिट मिली है. किसी ने गैरकानूनी रूप से बहुत पैसे बनाए. अदाणी ग्रुप को उस समय 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था. किसी ने इसे प्रॉफिट के तौर पर हासिल किया. और अब दोबारा झूठ फैलाकर उनकी मानहानि की कोशिश हो रही है.'
महेश जेठमलानी ने कहा, 'अभी जो मुद्दा सामने लाया गया है, वो 2014 से पहले का ही है. इतने दिन तक क्या OCCRP का इनवेस्टिगेशन ही चल रहा था. इससे ये मालूम होता है कि ये लोग हताशा में ऐसा कर रहे हैं.'
उन्होंने सवाल उठाया कि उस समय जब NDA सरकार नहीं थी, बल्कि UPA सरकार थी... तो मेरा मानना है कि अगर कुछ गड़बड़ी हुई तो उस समय के कोयला मंत्री को कठघरे में डालना चाहिए.'
'फाइनेंशियल टाइम्स' की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर आरोप लगाया था कि वर्ष 2013 में कम गुणवत्ता वाले कोयला (Low Grade Coals) का आयात किया था और फिर उसी कोयले को सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों को उच्च श्रेणी के कोयले (High Grade Coals) की कीमत पर बेच दिया.
एरिन कैपिटल के चेयरमैन TV मोहनदास पई ने फाइनेंशियल टाइम्स पर पश्चिम (Western Countries) के प्रति पक्षपात करने और असत्यापित सूचनाएं (Unverified Information) फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने अदाणी ग्रुप के उनकी सोच की भी निंदा की और इसे अनुचित बताया.
उन्होंने कहा, 'अदाणी ग्रुप से जुड़ा ये पूरा मामला, जॉर्ज सोरोस संचालित एक साजिश है. इसका प्रमाण सोरोस का दावोस में दिया गया वो बयान है, जब उसने कहा था कि मोदी (PM) को संसद में अदाणी मुद्दे पर बोलना होगा.' उन्होंने कहा, 'तकनीकी रूप से ये मामला, अदाणी ग्रुप के बहाने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला था.
पई ने कहा, 'ये स्पष्ट है कि कुछ लोग, मोदी सरकार के विरोध में भारतीय संसद को बाधित करने के लिए दूसरों को प्रभावित कर रहे हैं, जैसा कि उनके रुख से देखा जा सकता है. कोई नहीं जानता कि जॉर्ज सोरोस ने भारत में लोगों को कितना पैसा दिया. हालांकि, सोरोस के सार्वजनिक बयान में साजिश की संभावना का संकेत मिलता है.'
जानी-मानी ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म 'केंटर फिजगेराल्ड' ने भी FT की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. इसका कहना है कि भारतीय बिजनेस घराने 'अदाणी ग्रुप' को टारगेट करने वाली फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट सिर्फ शोर मचाने के लिए छापी गई थी.
केंटर फिजगेराल्ड ने जोर देकर कहा, 'ऐसा लगता है, जैसे फाइनेंशियल मार्केट्स ने इस रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया है. मार्केट का मानना है कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ छपी रिपोर्ट 'सारहीन' है.
अदाणी ग्रुप का कहना है कि इस स्टोरी में कोई दम नहीं है और हमारा मानना है कि बाजार को भी इस पर यकीन नहीं है. अदाणी ग्रुप ने कहा, 'आप देखिए कि शेयर बाजार क्या कह रहा है... आज ही (गुरुवार को) अदाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 8.01% चढ़ गया. गौर कीजिए कि इस तरह की मोटिवेटेड रिपोर्ट्स किस तरह से मीडिया के एक वर्ग में हाथों-हाथ ली जाती हैं. ये भी गौर कीजिए कि रिपोर्ट, मार्केट शुरू होने के साथ ही छपती है और मिनटों में आगे बढ़ा दी जाती है.'
बयान में कहा गया, '12 अक्टूबर 2023 को जैसे ही फाइनेंशियल टाइम्स का लेख छपा, देश विदेश के कई पत्रकारों ने इसे तुरंत री-पोस्ट कर आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. और फिर अल सुबह साढ़े चार बजे साजिश का इंटरनेशनल मकड़जाल एक्टिव हो जाता है और कुछ ही देर में भारत समेत दुनिया भर में फैल जाता है. हमारा मानना है कि स्टोरी में कोई दम नहीं.'