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मुकेश अंबानी करने जा रहे हैं बड़े पैमाने पर छंटनी! आखिर वजह क्या है?

रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के रिटेल यूनिट को पब्लिक करने की योजना के समय वैल्युएशन में ये गिरावट शुरुआती निवेशकों के लिए अच्छा संकेत नहीं है, खासकर जब प्रमुख निवेशकों की ओर से बायबैक की चर्चाओं से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:13 PM IST, 06 Mar 2025NDTV Profit हिंदी
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रिलायंस रिटेल अपने IPO से पहले कंपनी की वैल्युएशंस को बढ़ाने के लिए नौकरियों में कटौती और विस्तार योजनाओं को सीमित कर रहा है, ताकि लागत में कटौती की जा सके. ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट छापी है.

रिलायंस रिटेल का वैल्युएशन घटा

मुकेश अंबानी ने हाल ही में रिलायंस रिटेल वेंचर्स (RRVL) के कई क्षेत्रों में विस्तार के जरिए तेजी से विकास किया है. इस विस्तार और बिक्री में मंदी की चिंताओं ने कंपनी के वैल्युएशन को घटाकर 50 बिलियन डॉलर कर दिया है, जो दो साल पहले जुटाए गए फंड के मुकाबले आधा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के रिटेल यूनिट को पब्लिक करने की योजना के समय वैल्युएशन में ये गिरावट शुरुआती निवेशकों के लिए अच्छा संकेत नहीं है, खासकर जब प्रमुख निवेशकों की ओर से बायबैक की चर्चाओं से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.

मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने ब्लूमबर्ग को बताया कि नौकरियों में छंटनी और लागत कम करने के साथ-साथ अंबानी परिवार अपने फिजिकल स्टोर्स की संख्या भी कम कर रहा है. मार्केटिंग बजट में भी कटौती कर रहा है और रिलायंस ब्रैंड्स लिमिटेड को अपनी सामूहिक रिटेल यूनिट के साथ मर्ज कर रहा है. साथ ही, एक तय तनख्वाह से ऊपर के कर्मचारियों की भर्ती के लिए अब मुकेश अंबानी की मंजूरी अनिवार्य कर दी गई है.

जेफरीज ने खरीदारी की राय बरकरार रखी

रिपोर्ट के अनुसार, एम्बिट कैपिटल ने रिटेल यूनिट का वैल्युएशन घटाकर 50 बिलियन डॉलर कर दिया है. जो पब्लिक होने से पहले ग्रुप के 125 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से काफी कम है. ये कदम ग्लोबल इन्वेस्टर्स से जुटाए गए 8 बिलियन डॉलर के निवेश का अधिकतम मूल्य हासिल करने के लिए उठाया गया है. ब्लूमबर्ग ने ये भी लिखा है कि पब्लिक होते समय सिर्फ 5% हिस्सेदारी ही बेची जाएगी. इस बीच, जेफरीज ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर 'खरीदने' की अपनी राय बरकरार रखी है और शेयर का टारगेट प्राइस 1,660 रुपये तय किया है. ये शेयर पिछले साल के शिखर से 25% गिर चुका है.

ब्रोकरेज के एनालिस्ट्स ने कहा कि बाजार में निराशावाद चरम पर है, जहां रिटेल यूनिट का मौजूदा मार्केट कैप 48 बिलियन डॉलर आंका जा रहा है, जबकि पिछले फंडिंग दौर में ये 106 बिलियन डॉलर था. रिटेल सेक्टर में मंदी और ऑयल-टू-केमिकल्स व्यवसाय में मामूली कमाई के कारण शेयर में निफ्टी की तुलना में कमजोर प्रदर्शन हुआ है. इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रिटेल यूनिट के कुल स्टोर्स की संख्या 19,102 तक हो गई थी. करीब 30 करोड़ ग्राहकों ने स्टोर्स को विजिट किया, जो कि सालाना 5% की ग्रोथ को दर्शाता है.

रिलायंस रिटेल वेंचर्स का कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट तीसरी तिमाही में साल-दर-साल 10% बढ़कर 6,828 करोड़ रुपये रहा, जबकि रेवेन्यू में 7% की ग्रोथ दर्ज की गई है. इसी अवधि में ऑपरेटिंग प्रॉफिट 9% बढ़कर 6,828 करोड़ रुपये हो गया और मार्जिन 20 बेसिस प्वाइंट बढ़कर 8.6% पर पहुंच गया.

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