नई सरकार बन चुकी है, पोर्टफोलियो भी बंट चुके हैं. वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी एक बार फिर निर्मला सीतारमण को दी गई है, बजट भी अगले महीने पेश होने वाला है, ऐसे में इंडस्ट्री अब अपनी मांगों के साथ तैयार है, शुरुआत की है भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने.
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने सरकार से मांग की है कि वो घरेलू इंडस्ट्री को बचाने के लिए 'कॉन्टेस्ट एंट्री अमाउंट' (CEA) पर लगने वाले 28% GST को लेकर दोबारा विचार करे. स्किल ऑनलाइन गेम्स इंस्टीट्यूट (SOGI) का कहना है कि ज्यादा टैक्स रेट की वजह से घरेलू कंपनियां दबाव में हैं और इंडस्ट्री के विस्तार में रुकावट झेल रहीं हैं.
SOGI के फाउंडर प्रेसिडेंट अमृत किरन सिंह का कहना है कि 'पहले कुल गेमिंग आय पर 18% GST लगता था, पिछले साल अक्टूबर में इसे शिफ्ट करके कॉन्टेस्ट एंट्री अमाउंट पर कर दिया गया, इस बदलाव से घरेलू प्लेटफॉर्म पर न केवल वित्तीय बोझ बढ़ा, बल्कि अनजाने में अवैध सट्टेबाजी और जुआ खेलने की गतिविधियों को भी बल मिला'. उन्होंने कहा कि अवैध जुए को बढ़ावा देने से रोकने के लिए और घरेलू ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के विकास को सपोर्ट करने के लिए GST पॉलिसी में फिर से मूल्यांकन की जरूरत है.
SOGI के फाउंडर इस बात पर अपनी चिंता जाहिर की कि भारत की कंपनियां ऊंचे टैक्स रेट की वजह से कंपटीशन से बाहर हो रही हैं, जबकि विदेशी कंपनियां, जो कि खासतौर पर चीन की हैं, हां इस तरह का कोई टैक्स नहीं है, इसलिए कंपटीशन में आगे निकल रही हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव के बाद ऑनलाइन गेमिंग पर GST दरों की समीक्षा करने पर सहमत हुई थी और इसलिए हम चाहते हैं कि ये बदलाव के कारण कमाई में हुई बढ़ोतरी को देखने के बजाय एक स्टडी के बाद किया जाना चाहिए. उन्होंने सरकार से कहा कि ये रिव्यू् भारतीय और ग्लोबल ऑनलाइन गेमिंग को लेकर व्यापक समझ के साथ की जाएं. टैक्सेशन मॉडल को अमेरिका, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों के आधार पर किया जाना चाहिए.