दुनिया के टॉप ऑडिटर्स में शुमार डेलॉयट हास्किन्स एंड सेल्स (Deloitte Haskins & Sells LLP) की साख पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं. NFRA यानी नेशनल फाइनेंसिंग रिपोर्टिंग अथॉरिटी ने फर्म पर 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के ऑडिट में गड़बड़ियां मिलने पर ये जुर्माना लगाया गया है. फर्म के एंगेजमेंट पार्टनर AB जानी और एंगेजमेंट क्वालिटी कंट्रोल रिव्यू पार्टनर राकेश शर्मा पर भी कार्रवाई हुई है.
ऑडिटर को कॉरपोरेट दुनिया में बड़े विश्वास के साथ देखा जाता है. कंपनियों के बुक्स में वित्तीय अनियमितताओं को पकड़ना उसका काम है. लेकिन डेलॉयट के इतिहास पर नजर डालें तो कहानी कुछ और निकलती है.
ये कोई पहली बार नहीं है, जब ऑडिटिंग से जुड़ी गड़बड़ियों और नियमों के उल्लंघन को लेकर डेलॉयट के खिलाफ कार्रवाई हुई है. पिछले 5 साल में डेलॉयट को कई देशों में प्रतिबंधों और जुर्माने का सामना करना पड़ा है. गड़बड़ियां सामने आने और रेगुलेटर्स की कार्रवाई के चलते डेलॉयट की साख को भी बट्टा लगा है.
अप्रैल 2024 में, पब्लिक कंपनी अकाउंटिंग ओवरसाइट बोर्ड (PCAOB) ने इंडोनेशिया और फिलीपींस में डेलॉयट के सहयोगियों पर 1 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया. जांच में धोखाधड़ी और अन्य उल्लंघनों के लिए जुर्माना लगाया गया था. ऑडिटिंग स्टैंडर्ड्स और नैतिकता के पालन में कमी उजागर हुई थी.
वहीं, चीन में डेलॉयट के संचालन को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों अथॉरिटीज की रेगुलेटरी जांच का सामना करना पड़ा था. सितंबर 2022 में, अमेरिका के सिक्योरिटीज मार्केट रेगुलेटर US-SEC ने डेलॉयट के चीनी सहयोगी पर 20 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था, क्योंकि कंपनी ने अपने ऑडिट क्लाइंट्स को खुद से अपना ऑडिट करने के लिए कहा था, जो कि ऑडिटिंग मानकों का सीधा उल्लंघन है.
इसके बाद मार्च 2023 में चीनी रेगुलेटर्स ने चीन हुआरोंग एसेट मैनेजमेंट कंपनी के ऑडिट में पकड़ी गई खामियों के लिए 211.9 मिलियन युआन (30.8 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया था. रेगुलेटर्स ने पाया कि डेलॉयट, प्रोफेशनल संदेह रखने और ऑडिट की गुणवत्ता बनाए रखने में नाकाम रहे थे.
सितंबर 2023 में, कोलंबिया में डेलॉयट एंड टच (Deloitte & Touche S.A.S.) पर क्वालिटी कंट्रोल के उल्लंघन के लिए रेगुलेटर PCAOB ने 9 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया था. रेगुलेटर ने ऑडिट कंप्लायंस और इंडिपेंडेंट स्टैंडर्ड्स में बड़ी नाकामी का पर्दाफाश किया था.
वहीं इसी साल कनाडा में, ओंटारियो में ऑडिटर्स के प्रोफेशनल आचरण से जुड़े नियमों के उल्लंघन के चलते डेलॉयट पर कार्रवाई हुई. डेलॉयट पर 1.5 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया. कनाडा के अधिकारियों ने फर्म के नैतिक और प्रक्रियात्मक दिशानिर्देशों का पालन करने में खामियां उजागर की थीं.
भारत में डेलॉयट की लापरवाही से ही IL&FS जैसा बड़ा घोटाला हुआ, जिसने भारत के फाइनेंशियल सेक्टर को हिलाकर रख दिया था. IL&FS के बुक्स में डेलॉयट को कुछ भी गलत नजर नहीं आया था. कर्ज से बोझ से डूबी इस कंपनी की सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस यानी SFIO सहित कई रेगुलेटर्स की जांच के दायरे में आई, जबकि नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (NFRA) डेलॉयट के ऑडिट करने की क्षमता और क्वालिटी में कई गड़बड़ियां पाईं.
IL&FS के मामले में NCLT और बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने सरकार ने कहा कि डेलॉयट ने IL&FS ग्रुप कंपनियों के साथ मिलीभगत और सांठगांठ करते हुए जानकारी छिपाई और खातों में हेरफेर किया. सरकार का कहना था कि ऑडिटर ने जानबूझकर IL&FS के खातों का असली सच सामने आने नहीं दिया.
जून 2024 में नाइजीरियाई कंपनी टिंगो (Tingo) के 470 मिलियन डॉलर के घोटाले को लेकर अमेरिकी मार्केट रेगुलेटर SEC ने डेलॉयट पर गंभीर सवाल उठाए थे. पिछले साल नवंबर में टिंगो के शेयरों में 80% की बड़ी गिरावट आई, जिसके बाद SEC ने ट्रेडिंग पर रोक लगा दी. 'टिंगो' ने बैंक खातों में $462 मिलियन होने का दावा किया था, मगर निकले सिर्फ 50 डॉलर. टिंगो के बैंक खातों में $462 मिलियन होने की रिपोर्ट को डेलॉयट ने ही सर्टिफाई किया था.
चीन ने पिछले साल भी अपनी सरकारी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के ऑडिट में गड़बड़ी पर 30.8 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था. इस AMC के प्रमुख को भ्रष्टाचार के आरोप में चीन ने फांसी पर लटका दिया था.
इसी तरह मलेशिया में डेलॉयट PLT पर वहां की सरकार ने 80 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया था. डेलॉयट ने घोटालों में लिप्त 1MDB की बुक्स का 2011 से 2014 तक ऑडिट किया था और फर्म इसमें किसी गड़बड़ी का पता नहीं लगा पाई थी.
डेलॉयट की गिनती दुनिया के 4 बड़े ऑडिटर्स में होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सामने आई गड़बड़ियों ने डेलॉयट के ग्लोबल नेटवर्क की क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं.
फर्म, अपने ग्लोबल नेटवर्क में जरूरी स्टैंडर्ड्स लागू करने में फेल साबित हुई है. डेलॉयट अलग-अलग देशों में जटिल रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत काम करती है, जिससे इनका अनुपालन लगातार चुनौती बन जाता है.
डेलॉयट के खिलाफ रेगुलेटरी कार्रवाई ये दर्शाती है कि ऑडिटिंग प्रोफेशन में जवाबदेही और मजबूत इंटरनल कंट्रोल बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है. कार्रवाई ये भी दिखाती है कि प्रोफेशनल और नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए, ऑडिटिंग फर्म्स पर दुनियाभर के रेगुलेटर्स की पैनी नजर है.
(Source: NDTV Profit Research/ Bloomberg/PTI/NDTV World)