प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को विझिंजम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सी-पोर्ट को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. केरल में तिरुवनंतपुरम के पास मौजूीद 8,900 करोड़ रुपये की ये परियोजना भारत के सबसे महत्वाकांक्षी पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर वेंचर्स में से एक है और इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत विकसित किया जा रहा है.
ये पोर्ट केरल सरकार की एक प्रमुख परियोजना है और इसका निर्माण डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और ट्रांसफर के आधार पर एक लैंडलॉर्ड मॉडल में किया जा रहा है. अदाणी विझिंजम पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड इस उद्यम में निजी भागीदार है और इसका निर्माण 5 दिसंबर, 2015 को शुरू हुआ था.
विझिंजम इंटरनेशनल सी-पोर्ट लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक और CEO ए एस सुरेश बाबू ने ANI को बताया कि टेंडरिंग प्रोसेस में काफी रुचि देखी गई. उन्होंने कहा, '2014 में, चौथा टेंडर जारी किया गया था, और करीब पांच प्रमुख कंपनियों ने उस टेंडर में क्वालिफाई किया था. उनमें से केवल तीन ने ही टेंडर दस्तावेज खरीदे.'
सुरेश बाबू ने कहा, 'आखिरकार, अदाणी ने प्राइस बिड सबमिट किया और सितंबर 2015 में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए' उन्होंने ANI को बताया, "ये बहुत अच्छी बात है कि हमें यहां एक अंतरराष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट पोर्ट मिल रहा है. ये भारत के लिए एक परियोजना है और अदाणी रियायत पाने वाला होने के नाते, मुझे यकीन है कि उनकी विशेषज्ञता के साथ, वे अच्छा काम कर पाएंगे'.
ऑपरेशन कैपिसिटी में बढ़ोतरी के संकेत के रूप में, बंदरगाह ने अप्रैल में दुनिया के सबसे बड़े पर्यावरण-अनुकूल कंटेनर जहाज MSC तुर्किये का स्वागत किया. भूमध्यसागरीय शिपिंग कंपनी की ओर से संचालित 399.9 मीटर लंबा ये जहाज अपने पहले भारत दौरे के हिस्से के रूप में विझिंजम में डॉक किया गया.
बंदरगाह ने मजबूत प्रदर्शन के संकेत भी दिए हैं. मार्च में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि फरवरी में विझिंजम इंटरनेशन पोर्ट भारत के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में 15 बंदरगाहों में नंबर एक पायदान पर रहा, जिसने 40 जहाजों से 78,833 बीस-फीट समकक्ष इकाइयों को संभाला.