रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड (Reliance Jio) अगले साल 2025 तक अपना IPO ला सकती है. जेफरीज (Jeffries) के अनुसार, ये IPO 112 बिलियन डॉलर के वैल्युएशन पर आ सकता है. ब्रोकरेज ने 10 जुलाई के एक नोट में कहा कि कंपनी हाल ही में टैरिफ में बढ़ोतरी से मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाने पर ध्यान दे रही है, जबकि फीचर फोन टैरिफ में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
जियो की लिस्टिंग के लिए कंपनी के पास दो विकल्प हैं. पहला विकल्प IPO है और दूसरा जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (JFS) की तरह स्पिन-ऑफ है.
अगर कंपनी IPO का रुख अपनाती है तो बेहतर कंट्रोल होगा, लेकिन होल्डिंग कंपनी यानी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 20-50% का डिस्काउंट लगेगा. रिलायंस टेलीकॉम कंपनी में 33.7% माइनॉरिटी शेयरहोल्डिंग के साथ 10% शेयरों को लिस्ट करके IPO की आवश्यकता को पूरा कर सकती है. हालांकि IPO में 35% रिटेल सेगमेंट के लिए आरक्षित है ऐसे कंपनी को IPO में आम निवेशकों को शेयर बेचने में कुछ दिक्कत आ सकती है.
दूसरी ओर यदि जियो को स्पिन-ऑफ किया जाता है तो रिलायंस की जियो में हिस्सेदारी कम होकर 33.3% हो जाएगी. क्योंकि जियो इन्फोकॉम में 33.7% शेयर होल्डिंग गूगल और फेसबुक जैसे बड़े निवेशकों के पास हैं.
इन स्थितियों को देखते हुए जियो के मौजूदा घरेलू और विदेशी निवेशक इसकी लिस्टिंग के लिए वर्टिकल स्पिन ऑफ के पक्ष में हैं.
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के अनुसार जियो इन्फोकॉम के 9.3 लाख करोड़ रुपए के वैल्युएशन को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 7-15% तक की बढ़ोतरी संभव है.
वर्टिकल स्पिन ऑफ की स्थिति में RIL की फेयर वैल्यू 3,580 रुपये लगती है, जबकि IPO की स्थिति में फेयर वैल्यू 3,365 बैठती है.