दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को रेलिगेयर की सालाना आम बैठक (AGM) को रोकने से इनकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि अमेरिकी कारोबारी डैनी गायकवाड़ की ओर से दिया गया ऑफर भी व्यर्थ है, क्योंकि SEBI से ऐसा करने की अनुमति मांगने वाला उनका पत्र पहले ही वापस कर दिया गया है.
दिल्ली हाई कोर्ट रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की 500 शेयरों वाली माइनॉरिटी शेयरहोल्डर सपना राव की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहा था. राव अमेरिकी बिजनेसमैन गायकवाड़ के ऑफर का समर्थन कर रहीं थी.
सपना राव की याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से बर्मन परिवार को दी गई सशर्त मंजूरी SEBI के एक्विजिशन और टेकओवर नियमों के अनुरूप नहीं थी. उन्होंने डाबर फेम बर्मन परिवार की ओर से कंपनी की हिस्सेदारी के अधिग्रहण को रोकने की मांग की.
गायकवाड़ के ऑफर में रेलिगेयर में 26% हिस्सेदारी के लिए बर्मन परिवार की ओर से की गई 235 रुपये प्रति शेयर के ऑफर पर 17% प्रीमियम की बात की गई थी. इसके अलावा उनका ऑफर कंपनी में 55% हिस्सेदारी के लिए है.
हालांकि, जब गायकवाड़ का ऑफर सामने आया, तो बर्मन परिवार ने भी अपनी प्रतिक्रिया में एक मीडिया बयान जारी किया था. जिसमें कहा गया है कि उनका ऑफर औपचारिक नहीं था, क्योंकि उन्होंने ऐसा करने में सक्षम होने के लिए केवल SEBI से इजाजत मांगी थी. बर्मन ने आगे जिक्र किया कि गायकवाड़ को प्रस्ताव देने में पहले ही देर हो चुकी थी.
बर्मन का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, महेश जेठमलानी, अभिमन्यु भंडारी और दयान कृष्णन कर रहे हैं. सिंघवी ने तर्क दिया कि ये एक प्रॉक्सी मुकदमा था, जो AGM में देरी करने की चौथी कोशिश थी. सिंघवी ने तर्क दिया कि सितंबर RoC आदेश, जबलपुर मुकदमा, रश्मी सलूजा का अपना मुकदमा और वर्तमान रिट, सभी का उद्देश्य डॉ. सलूजा को 7 फरवरी के बाद भी रेलिगेयर का अध्यक्ष के रूप में बने रहने की अनुमति देना है.
हाई कोर्ट को बताया गया कि सपना राव, जो कि इस वक्त बैंकॉक में हैं, संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत रिट दायर करने के लिए अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने में विफल रही हैं. सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया, मामले की सुनवाई 18 फरवरी को तय की गई है.
SEBI की ओर से कहा गया कि बर्मन का ओपन ऑफर आगे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने डैनी का पत्र लौटा दिया था.