अनिल अंबानी (Anil Ambani) की कंपनी रिलायंस पावर (Reliance Power Ltd.) और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों को सोलर एनर्जी कॉर्प ऑफ इंडिया (SECI) ने भविष्य में आने वाले किसी भी टेंडर के लिए बोली लगाने से 3 साल के लिए बैन कर दिया है.
अनिल अंबानी की कंपनियों ने टेंडर के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा कराई थी, इसलिए SECI ने ये कार्रवाई की है. SECI ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि बोली के आखिरी राउंड में कंपनी की ओर से फर्जी बैंक गारंटी दी गई, जिसके बाद इन कंपनियों को बैन किया गया है. न्यू और रिन्युएबल एनर्जी मिनिस्ट्री की कंपनी SECI ने रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी की ओर से बैंक गारंटी में गड़बड़ियां मिलने पर आखिरी राउंड की बोली को रद्द कर दिया था.
SECI ने अपने नोटिस में कहा है कि बिडर महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड जो कि अब रिलायंस NU BESS लिमिटेड है, इसने जो डॉक्यूमेंट्स जमा किए थे, उसकी जांच की गई. जांच के आधार पता चला कि टेंडर के लिए जरूरी जो बैंक गारंटी दी गई थी, जिसे एक विदेशी बैंक ने जारी किया था, वो फर्जी थी. अब चूंकि ये गड़बड़ी ई-रिवर्स नीलामी के बाद पाई गई थी, इसलिए SECI को टेंडर की प्रक्रिया को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी ने जून 2024 में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाई थी, इस कंपनी ने ई-मेल के जरिए SBI सपोर्टेड विदेशी बैंक गारंटी जमा की थी. जब डॉक्यूमेंट्स की जांच की गई तो रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी ने SBI की जो ई-मेल ID दी थी, वो संदिग्ध लगी. क्योंकि SBI की ई-मेल ID थी sbi.17313@s-bi.co.in
SBI ने ही साफ किया कि ये ई-मेल ID फर्जी है साथ ही उसने ये भी साफ किया कि उसका इस टेंडर से कोई लेना देना नहीं है, उसने इसका समर्थन नहीं किया है.
फर्जी दस्तावेज सामने आने के बाद सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉर्प (SECI) को टेंडर प्रक्रिया को रद्द करना पड़ा. इतना बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद SECI ने रिलायंस-पावर को 3 साल के लिए सरकारी सोलर प्रोजेक्ट्स में बिडिंग से रोक दिया. अब ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि रिलायंस पावर ने फर्जी बैंक गारंटी के लिए थर्ड पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है.
टेंडर की शर्तों के मुताबिक नकली डॉक्यूमेंट पेश करने की वजह से बिडर SECI की भविष्य में आने वाले टेंडर के लिए बोली नहीं लगा सकेगा. बिडर कंपनी रिलायंस पावर की सब्सिडियरी कंपनी है, इसने पैरेंट कंपनी की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए वित्तीय योग्यता आवश्यक्ताओं को पूरा किया था.
मामले की गहन जांच करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि बिडर कंपनी की ओर से किए गए सभी कमर्शियल और स्ट्रैटेजिक फैसले पैरेंट कंपनी की ओर से हुए थे. इसी को आधार बनाते हुए रिलायंस NU BESS और रिलायंस पावर लिमिटेड (इसकी सब्सिडियरी कंपनियों सहित) को भविष्य के सभी टेंडर में भाग लेने से रोक दिया गया है. ये बैन 3 साल तक के लिए रहेगा.
रिलायंस पावर ने इस फ्रॉड के लिए थर्ड पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है. कंपनी ने कहा कि वो दोषी नहीं बल्कि पीड़ित है. कंपनी SECI के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने तैयारी कर रही है.