NCLAT यानी नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है. फिनोलेक्स केबल्स की AGM से संबंधित एक आदेश पारित करने के बाद शीर्ष अदालत ने NCLAT को कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया था, जिस मामले को आज बंद कर दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बेंच पर कोई पेनल्टी नहीं लगाई है, लेकिन कंपनी के कार्यकारी निदेशक रहे दीपक छाबड़िया (Deepak Chhabdia) पर 1 करोड़ रुपये, जबकि विवेचक (Scrutniser) पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
ये मामला फिनोलेक्स केबल्स (Finolex Cables Ltd.) की वार्षिक आम बैठक (AGM) के संबंध में पारित आदेश से संबंधित है. अपील के बाद 13 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT को निर्देश दिया था कि AGM के अंतिम परिणाम प्रकाशित होने तक मामले में कोई आदेश पारित न किया जाए.
इसके बावजूद ट्रिब्यूनल ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की परवाह किए बिना आदेश पारित कर दिया. आदेश की अवहेलना के बाद सुप्रीम कोर्ट को NCLAT पीठ के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करना पड़ा.
जस्टिस राकेश कुमार और टेक्निकल मेंबर आलोक श्रीवास्तव की बेंच ने ये नोटिस जारी किया था और ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द करते हुए नए सिरे से मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया था.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 55वीं AGM में प्रस्तावित मतदान के नतीजे घोषित किये गये थे. इस मीटिंग में शेयरधारकों ने दीपक छाबड़िया की दोबारा नियुक्ति के खिलाफ वोट किया था.
इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि जिस तरह से NCLAT ने फैसला सुनाया वो न्यायिक प्राधिकरण के लिए अनुचित है. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि NCLT और NCLAT की व्यवस्था सड़ गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर यानी आज की सुनवाई के दौरान NCLAT के दोनों संबंधित सदस्यों को मौजूद रहने को कहा था.
फिनोलेक्स केबल्स की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT को AGM के अंतिम परिणाम प्रकाशित होने तक कोई आदेश पारित न करने का निर्देश दिया था. फिनोलेक्स केबल्स की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) के नतीजे दोपहर 2:40 बजे घोषित किए गए, जबकि NCLAT ने दोपहर 2 बजे ही फैसला सुना दिया था.
मामले से जुड़े वकीलों का कहना था कि NCLAT के समक्ष सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रस्तुत करने के बावजूद कोई राहत नहीं दी गई. इसके बाद शीर्ष अदालत ने NCLAT अध्यक्ष को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया था. जांच में ये पूछा गया था कि
क्या शीर्ष अदालत के 13 अक्टूबर, 2023 के आदेश की ओर दोनों जजों का ध्यान आकर्षित किया गया था?
यदि हां तो वे कौन सी परिस्थितियां थीं, जिनमें स्पष्ट आदेश के बावजूद, न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया?
कोर्ट ने आगे कहा था कि अगर जो कहा गया है, वो सच साबित होता है तो ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की स्पष्ट अवहेलना का मामला है. आज इसी मामले पर सुनवाई थी. हालांकि की दलील के बाद उसे कोर्ट से राहत मिली है. वहीं कंपनी के कार्यकारी निदेशक रहे दीपक छाबड़िया पर कड़ा जुर्माना लगाया है.