सुप्रीम कोर्ट ने जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज की ओनरशिप को रिजोल्यूशन प्लान के मुताबिक पूर्ण भुगतान के बिना सफल रिजोल्यूशन एप्लीकेंट को ट्रांसफर करने की इजाजत दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के मार्च 2024 के आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसने JKC को ओनरशिप ट्रांसफर को बरकरार रखा था. कोर्ट ने अपने पिछले फैसलों की अनदेखी करने और तथ्यों की पूरी तरह से जांच किए बिना ही जालान कैलरॉक के पक्ष में फैसला करने पर NCLAT की आलोचना की. जस्टिस जे बी पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए एक गंभीर टिप्पणी भी की, उन्होंने कहा कि ये मामले इनसॉल्वेंसी ट्रिब्यूनल्स के कामकाज और IBC के लिए आंखें खोलने वाला है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भुगतान की पहली किस्त के लिए 150 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी (PBG) का एडजस्टमेंट की इजाजत देने वाला NCLAT का आदेश कोर्ट के आदेश का घोर उल्लंघन था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि PBG के एडजस्टमेंट की इजाजत नहीं दी जा सकती थी, क्योंकि ये रिजोल्यूशन प्लान का उल्लंघन था. इस पहलू को लेकर योजना पहले से ही स्पष्ट थी.
आपको बता दें कि इस मामले पर SBI और बाकी लेंडर्स की याचिका पर 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी हो गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने तब फैसला सुरक्षित रख लिया था. लेंडर्स ने अपनी याचिका में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें जेट एयरवेज के रिजोल्यूशन प्लान को बरकरार रखा गया था और इसके स्वामित्व को जालान कैलरॉक कंसोर्शियम (JKC) को ट्रांसफर करने की मंजूरी दी गई थी.
कंसोर्शियम जिसमें संयुक्त अरब अमीरात के नॉन रेजिडेंट भारतीय मुरारी लाल जालान और फ्लोरियन फ्रिट्च शामिल हैं, जो अपनी केमैन आइलैंड्स बेस्ड निवेश होल्डिंग कंपनी कैलरॉक कैपिटल पार्टनर्स के जरिए जेट एयरवेज में शेयर रखते हैं - एयरलाइन को फिर से खड़ा करने के लिए सफल बोलीदाता के रूप में उभरे थे.