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Tata-Bisleri Deal: आखिर कहां अटक गई $1 बिलियन की बिसलेरी डील?

बीते साल बिसलेरी के मालिक ने कहा था कि अब वो बिसलेरी कंपनी को बेचना चाहते हैं. इसके बाद टाटा ग्रुप ने बिसलेरी को खरीदने की इच्छा जताई थी.
NDTV Profit हिंदीजितेन्द्र ज्योति
NDTV Profit हिंदी08:53 PM IST, 01 Mar 2023NDTV Profit हिंदी
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देश की सबसे बड़ी बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियों में से एक बिसलेरी की डील ( Tata-Bisleri Deal) को लेकर बातचीत चल ही रही थी कि अब इसे लेकर खबर आ रही है कि टाटा-बिसलेरी के बीच की डील अटक गई है. दोनों कंपनियों के बीच डील की वैल्यूएशन को लेकर बात अटक गई है.

1 बिलियन डॉलर जुटाने की तैयारी में थी बिसलेरी

सूत्रों के मतुाबिक भारतीय समूह बिसलेरी का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए चर्चा कर रहा था और पार्टियां लेनदेन की संरचना को अंतिम रूप देने पर काम कर रही थीं. बिसलेरी के मालिक एक सौदे से लगभग 1 बिलियन डॉलर जुटाने की तैयारी में थे. सूत्रों ने बताया कि बाद में बातचीत में अड़चन आ गई क्योंकि कंपनियां वैल्युएशन पर सहमत नहीं हो पाईं.

टाटा और बिसलेरी के बीच चर्चा दोबारा हो सकती है

सूत्रों ने कहा कि टाटा और बिसलेरी के बीच चर्चा अभी भी फिर से शुरू हो सकती है, और अन्य संभावित दावेदार उभर सकते हैं. मामले पर टाटा और बिसलेरी के प्रतिनिधियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

बिसलेरी की जड़ें 1949 से जुड़ी हैं

बिसलेरी की जड़ें 1949 से जुड़ी हैं, जब जयंतीलाल चौहान ने शीतल पेय निर्माता पारले ग्रुप की स्थापना की, जिसने 1969 में एक इटली के उद्यमी से बिसलेरी का अधिग्रहण किया. भारत के बोतलबंद मिनरल वॉटर बाजार में इसकी 60% हिस्सेदारी है. कंपनी हैंड सैनिटाइजर भी बनाती है. बिसलेरी के चेयरमैन रमेश चौहान ने नवंबर में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि बिसलेरी टाटा को हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत कर रहे थे.

टाटा समूह बिसलेरी का अधिग्रहण भारत में बोतलबंद पानी बैंड्स के अपने पोर्टफोलियो का विस्तार कर सकता था. समूह की इकाइयों में से एक, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड हिमालयन नेचुरल मिनरल वॉटर और टाटा वॉटर प्लस ब्रैंड्स का मालिक है.

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