नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) का अगला चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया है. इसके अलावा मेहली मिस्त्री (Mehli Mistry) को परमानेंट ट्रस्टी बनाए गए हैं.
दरअसल टाटा ट्रस्ट्स, टाटा ग्रुप से जुड़े तमाम ट्रस्ट्स की एक संयुक्त बॉडी है. इसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट और दोराबजी टाटा ट्रस्ट सबसे अहम हैं. यही टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस में करीब 65% भागीदारी रखते हैं.
नियुक्ति के बाद नोएल टाटा ने कहा, 'मेरे साथी ट्रस्टियों ने मुझे जो जिम्मेदारी दी है, उससे मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मैं श्री रतन टाटा और टाटा समूह के संस्थापकों की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं. सौ साल से भी पहले स्थापित टाटा ट्रस्ट सामाजिक भलाई के कार्य करने का एक अनोखा जरिया है. इस मौके पर हम ग्रुप का विकास करने और समाज की भलाई के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए खुद को समर्पित करते हैं. हम राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे.'
नोएल टाटा, नवल टाटा और उनकी दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं और वे रतन टाटा और जिमी टाटा के सौतेले भाई हैं. उनकी पढ़ाई ब्रिटेन की ससेक्स यूनिवर्सिटी से हुई है. वे फिलहाल टाटा इंटरनेशनल, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट के चेयरमैन हैं. वे टाइटन के वाइस चेयरपर्सन भी हैं.
उनके 3 बच्चे हैं: लेह टाटा, माया टाटा और नेविल टाटा, जिन्हें टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया है.
इससे पहले नोएल टाटा को अगस्त 2010 में ट्रेंट का नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर नियुक्त किया गया था. उसके बाद वे मार्च, 2014 में कंपनी के चेयरमैन बने. इससे पहले नवल टाटा 11 सालों तक कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे.
अगस्त 2010 से नवंबर 2021 के बीच वे टाटा इंटरनेशनल के भी मैनेजिंग डायरेक्टर थे. उनके कार्यकाल में कंपनी का टर्नओवर 500 मिलियन डॉलर से बढ़कर 3 बिलियन डॉलर पहुंच गया. वे सर रतन टाटा ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी के तौर पर भी काम करते हैं.
मेहली मिस्त्री शापूरजी पालोनजी के पोते हैं. वे टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन, दिवंगत साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं. उनके रतन टाटा के साथ करीबी संबंध रहे हैं.
उन्हें नवंबर 2022 में टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया था. अब उन्हें परमानेंट ट्रस्टी बनाया गया है. फिलहाल वे पेंट डिस्ट्रीब्यूशन, लॉजिस्टिक्स, ट्रेवल सेक्टर से जुड़ा व्यवसाय करते हैं.
बता दें कि टाटा ट्रस्ट्स एक बड़ी बॉडी है, जिसमें 14 टाटा ट्रस्ट शामिल हैं. टाटा संस का बड़ा मालिकाना हक मुख्यत: 2 ट्रस्ट; सर रतन ट्रस्ट और सर दोराबजी ट्रस्ट के पास है. दोनों के पास कुल मिलाकर 50% मालिकाना हक है.
अगर सभी टाटा ट्रस्ट को देखा जाए तो इनकी टाटा संस में 65.3% भागीदारी है और ये भारत के सबसे बड़े उद्योग घरानों में से एक को निर्देशित करने में अहम भूमिका निभाते हैं.
टाटा ट्रस्ट्स की तरफ से बिजनेस चलाने के लिए एक एग्जीक्यूटिव कमिटी की नियुक्ति होती है, जो ऑपरेशंस पर नजर रखती है. अब तक इस कमिटी के चेयरमैन रतन टाटा थे. अन्य तीन अहम सदस्यों में वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह थे, जो टाटा ट्रस्ट्स के वाइस चेयरमैन थे. इसके अलावा मेहली मिस्त्री इसके ट्रस्टी थे.
सर रतन टाटा ट्रस्ट के सदस्य
विजय सिंह, वाइस चेयरमैन
वेणु श्रीनिवासन, वाइस चेयरमैन
JN टाटा
नोएल टाटा
जहांगीर HC जहांगीर
मेहली मिस्त्री
डेरियस खंबाता
दोराबजी टाटा ट्रस्ट के सदस्य
विजय सिंह, वाइस चेयरमैन
वेणु श्रीनिवासन, वाइस चेयरमैन
प्रमित झावेरी
नोएल टाटा
मेहली मिस्त्री
डेरियस खंबाता