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नोकिया-एरिक्‍सन संग वोडाफोन-आइडिया की 'डील' पर उदय कोटक का तंज- 'इसकी टोपी, उसके सिर'

उदय कोटक ने वोडाफोन-आ‍इडिया का नाम लिए बिना सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर लिखा, 'फाइनेंशियल मार्केट हवा में पैसे बनाते हैं?'
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी06:35 PM IST, 14 Jun 2024NDTV Profit हिंदी
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भारी कर्ज में डूबी आदित्य बिड़ला ग्रुप की टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया (Vi) ने बकाये का भुगतान करने के लिए प्रेफरेंशियल शेयर के जरिए 2,458 करोड़ रुपये जुटाने का फैसला किया है, जो कि मोबाइल कंपनी नोकिया (Nokia) और एरिक्‍सन इंडिया को जारी किए जाएंगे.

Vi के इस फैसले पर दिग्‍गज बैंकर उदय कोटक (Uday Kotak) ने सवाल उठाया है और तंज कसा है. कंपनी का नाम लिए बिना उन्‍होंने इस डील की तुलना पुरानी कहावत 'Robbing Peter to Pay Paul' यानी 'इसकी टोपी, उसके सिर' से की है.

'हवा से पैसा बनाते हैं बाजार'

उदय कोटक ने वोडाफोन-आ‍इडिया का नाम लिए बिना सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म X पर लिखा, 'फाइनेंशियल मार्केट हवा में पैसे बनाते हैं? फाइनेंशियल दिक्‍कतों में फंसी कंपनियों के लिए एक मॉडल है- कर्ज चुकाने के लिए लेनदारों को इक्विटी जारी करना.'

आगे उन्‍होंने लिखा, 'ऐसे में अगर स्टॉक की अच्छी ट्रेडिंग हो रही है तो लेनदार इसे बेच सकता है और निवेशकों से पैसे हासिल कर सकता है. वो एक कहानी है न, पीटर और पॉल के बारे में?'

उदय कोटक की इस पोस्‍ट पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं.

एक वर्ग का कहना है कि 'कर्ज के बदले इक्विटी जारी करने' की तुलना 'हवा में पैसे बनाने' से नहीं की जा सकती है. वहीं दूसरा एक वर्ग है, जो उदय कोटक की बात से इत्तेफाक रखता है और इसकी तुलना शेयरहोल्‍डर्स को धोखा देने से करता है.

नोकिया और एरिक्‍सन का कर्ज कम होगा!

वोडाफोन-आइडिया ने गुरुवार शाम हुई बोर्ड मीटिंग के बाद प्रेफरेंशियल शेयर के आधार पर जरिए 2,458 करोड़ रुपये जुटाने के बारे में घोषणा की.

कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया है कि वो नोकिया सॉल्यूशंस और नेटवर्क्स इंडिया को 1,520 करोड़ रुपये के कुल 102.7 करोड़ शेयर आवंटित करेगी.

वहीं बाकी 63.37 करोड़ शेयर एरिक्सन इंडिया को आवंटित किए जाएंगे, जिसकी कुल वैल्यू 938 करोड़ रुपये होगी. ताकि दोनों कंपनियों के लंबित बकाये का कुछ हिस्‍सा चुकाया जा सके.

जांच के दायरे में है ये फैसला?

प्रेफरेंशियल शेयर अलॉटमेंट प्राइस, FPO प्राइस की तुलना में 35% ज्‍यादा है और 6 महीने के लॉक-इन पीरियड के साथ आता है. Vi का ये फैसला, जांच के दायरे में है, क्‍योंकि इक्विटी का इस्‍तेमाल करके बिल्‍स का पेमेंट किया जा रहा है.

पिछले वर्ष में Vi के शेयरों में दोगुने से अधिक की ग्रोथ हुई है, जो संभावित रूप से मैनेजमेंट और वेंडर्स को इस तरह के डेट री-पेमेंट के लिए भरोसा दिलाता है.

प्रेफरेंशियल शेयर जारी करने के बाद, कंपनी (Vi) में नोकिया की शेयरहोल्डिंग 1.5% और एरिक्सन की शेयरहोल्डिंग 0.9% हो जाएगी.

Vi के लिए क्‍यों जरूरी हैं ऐसा करना?

दरअसल, वोडाफोन इंडिया के साथ नोकिया और एरिक्‍सन, दोनों की लॉन्‍गटर्म पार्टनरशिप है. कारण कि दोनों नेटवर्क कॉम्‍पोनेंट के प्रमुख सप्‍लायर हैं. प्रेफरेंशियल शेयरों के जरिए Vi उनके बकाये का कुछ हिस्‍सा चुका पाएगी. ये Vi के लिए कैपेक्‍स को और मजबूत करेगा, जो 4G और 5G नेटवर्क के विकास में लगी है.

हालांकि बकाये के भुगतान के लिए इक्विटी को कम करने का कदम अमूमन स्‍टार्टअप्‍स या फिर कैश की कमी से जूझ रहीं कंपनियां उठाती हैं. ये प्रोमोटर होल्डिंग कम होने का संकेत देता है. इसमें जोखिम भी है और ये कैश फ्लो पर दबाव भी दिखाता है. Vi जैसी कंपनी की ओर से ऐसे फैसले को इंडस्‍ट्री एक्‍सपर्ट्स असामान्‍य बताते हैं.

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