वेदांता कंपनियों का डीमर्जर अब आखिरी चरण में है. ब्रोकरेज फर्म एमके के मुताबिक डीमर्जर के बाद वेदांता का मार्केट कैप मौजूदा 2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
कंपनी ने 2023 के सितंबर में अपने डीमर्जर प्लान के बारे में पहली बार बताया था. वेदांता ने कहा था कि कंपनी अपने हर कारोबार को स्वतंत्र यूनिट्स में रीस्ट्रक्चर करेगी, ताकि ज्यादा वैल्यू अनलॉक की जा सके और ज्यादा मात्रा में निवेश को आकर्षित किया जा सके.
कंपनी फिलहाल NCLT से मंजूरी का इंतजार कर रही है, जो डीमर्जर की दिशा में अंतिम कदम है. वेदांता का अनुमान है कि मार्च, 2025 तक डीमर्जर को पूरा कर लिया जाएगा.
ब्रोकरेज के मुताबिक डाइवर्सिफाइड कंपनीज अक्सर, किसी खास कमोडिटी पर फोकस कंपनियों की तुलना में डिस्काउंट पर ट्रेड करती हैं. इसकी वजह फोकस की कमी और इन कंपनियों की अंदरूनी जटिलता होती है.
एक डाइवर्सिफाइड माइनिंग कंपनी में निवेश से निवेशक मल्टीपल कमोडिटीज के जोखिमों की आशंकाओं से भी घिरे रहते हैं. अगर एक कमोडिटी खराब प्रदर्शन कर रही है, तो इससे ओवरऑल वैल्यूएशन नीचे जा सकता है. भले ही दूसरी कमोडिटीज बेहतर कर रही हों.
डीमर्जर के जरिए वेदांता को अलग-अलग कमोडिटीज के आधार पर 6 कंपनियों में बांटा जाएगा, ताकि वे अपने कोर बिजनेसेज पर फोकस और ऑपरेशनल कुशलता में भी इजाफा कर पाएं. एमके का कहना है कि तब विशेष कमोडिटी और बिजनेस फंडामेंटल्स के आधार पर हर एक कंपनी का अलग वैल्यूएशन होगा. इससे ग्रुप का ओवरऑल वैल्यूएशन ज्यादा होने का अनुमान है.
एमके ने बताया कि वेदांता फिलहाल FY26 फॉरवर्ड EV-to-EBITDA रेश्यो से 5.3 गुना ज्यादा पर ट्रेड कर रही है. डीमर्जर से ये 7.1 गुना पर पहुंचने का अनुमान है. ये 51% का इजाफा है.
एमके के मुताबिक वेदांता और वेदांता एल्यूमीनियम डीमर्जर के बाद लार्ज कैप कंपनियां बनेंगी. दूसरी तरफ वेदांता ऑयल & गैस, वेदांता स्टील & फेरस मटेरियल्स, वेदांता पावर मिड कैप कंपनियां बनेंगी.
वेदांता बेस मेटल्स खास अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशंस पर फोकस करेगी, ये कॉपर और जिंक में ग्लोबल मर्जर और अधिग्रहण के लिए व्हीकल के तौर पर काम कर सकती है.