रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने 'क्रोनी कैपिटलिज्म' (सांठ-गांठ वाले पूंजीवाद) की व्यवस्था का भर्त्सना करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा नष्ट होती है तथा यह मुक्त उद्यमशीलता, अवसरों के विस्तार और आर्थिक वृद्धि के लिए नुकसानदेह है।
राजन ने यहां प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी ललित दोषी की स्मृति व्याख्यानमाला में इस वर्ष का व्याख्यान देते हुए कहा, 'क्रोनी कैपिटलिज्म पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को खत्म करता है और इस मायने में यह मुक्त उद्यम, अवसर और आर्थिक वृद्धि के लिए नुकसानदेह है।'
अध्यापन की दुनिया से आकर रिजर्व बैंक के प्रमुख का पद संभाल रहे राजन ने कहा कि हाल के चुनाव में सांठ-गांठ वाला पूंजीवाद एक बड़ा मुद्दा था जिसमें आरोप था कि बिकाऊ नेताओं को चढ़ावा चढ़ाकर लोगों ने जमीन, प्राकृतिक संसाधन और स्पेक्ट्रम हासिल किए थे।
उन्होंने कहा कि क्रोनी कैपिटलिज्म से भारत जैसे विकासशील देशों में व्यवस्था पर कुछ लोगों के हावी होने का खतरा हो जाता है और पूरी अर्थव्यवस्था एक औसत आय की जाल में फंस जाती है।
राजन ने कहा कि लोग क्रोनी कैपिटलित्म को इसलिए सहन करते हैं और इस व्यवस्था को बनाये रखने वाले बिकाउ नेता को चुनते हैं क्योंकि वही नेता गरीबों और वंचितों की बैसाखी की भी भूमिका निभाता है जबकि उस व्यवस्था में गरीबों को कुछ खास हासिल नहीं होता है।